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साल 2016 में केंद्र सरकार ने देश में नोटबंदी का ऐलान किया था. इस दौरान बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखी गईं. तभी एक नवजात बच्चा पैदा हुआ और उसका नाम खजांची रखा गया. उस समय ये बच्चा बहुत सुर्खियों में भी रहा था. दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में एक महिला जब बैंक के बाहर लाइन में खड़ी थी, तभी उसने एक बच्चे को जन्म दिया. 2 दिसंबर 2016 को जन्मे इस बच्चे का नाम यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खजांची रखा था.
अखिलेश ने उठाई पढ़ाई की जिम्मेदारी
तब से अखिलेश यादव 'खजांची' का ख्याल रखते हैं. इतने सालों बाद अखिलेश ने अब इस बच्चे की पढ़ाई पूरी करवाने का जिम्मा उठाया है. सपा प्रमुख ने ट्वीट किया कि नोटबंदी की लाइन में जन्म लेने पर मजबूर ‘खजांची’ अब बड़ा हो गया है, उसकी गरीबी उसके विकास में बाधा ना बने, इसीलिए हमने उसकी पढ़ाई पूरी कराने की जिम्मेदारी ली है. शिक्षा की शक्ति से व्यक्तित्व की दूसरी शक्तियां जन्म लेती हैं. शैक्षिक सशक्तीकरण से बड़ा कोई अन्य सशक्तीकरण नहीं होता.
दूसरे जन्मदिन पर अखिलेश ने गिफ्ट में दिया था घर
इससे पहले साल 2018 में खजांची के दूसरे जन्मदिन पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उसे गिफ्ट में घर दिया था. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद खजांची के पैतृक गांव सरदार पुरवा पहुंचे थे और खजांची के नए घर का निरीक्षण किया था. खजांची को दिया ये घर इसलिए भी खास है, क्योंकि गांव में ये पहला लोहे और कंक्रीट से बना घर है. इसे दिल्ली से लाकर गांव में फिट किया गया था.
नोटबंदी की लाइन में दिया बच्चे को जन्म
गौरतलब है कि नोटबंदी के दौरान खजांची की मां सर्वेषा दो दिसंबर को झिंझक इलाके में पंजाब नेशनल बैंक जाकर पैसा निकालने के लिए सुबह 11 बजे से ही लाइन में लगी थीं, वहां उसे प्रसव पीड़ा हुई और उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया. जब इसकी खबर मीडिया के जरिए अखिलेश यादव तक पहुंची तो उन्होंने बैंक के बाहर पैदा होने के कारण इस बच्चे का नाम खजांची रख दिया और उसकी मां को 1 लाख रुपये सहायता राशि के तौर पर दिए थे.
नोटबंदी के मुखर आलोचकों में से एक अखिलेश यादव ने अपनी सभाओं में तंज कसने के लिए खजांची का कई बार जिक्र किया. इसके साथ ही अखिलेश ने यह भी साबित करने की कोशिश की कि मोदी सरकार के कदम से पीड़ित लोगों की उन्होंने मदद की. यहां तक कि अखिलेश ने खजांची के गांव को भी गोद लिया था.