
वाराणसी में गंगा किनारे पिछले कुछ हफ्तों से पनपे हरे शैवाल ने गंगा के 84 पक्के घाटों को अपनी जद में ले लिया है. जिसके चलते न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि शासन-प्रशासन में भी कौतूहल मचा हुआ है. पहली बार इतने बड़े पैमाने पर गंगा में फैले हरे शैवाल की समस्या के बाबत वाराणसी के जिलाधिकारी ने अलग-अलग विभागों के 5 सदस्यों की एक टीम गठित करके तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब की थी. रिपोर्ट बनकर तैयार हो चुकी है और कमेटी ने जिलाधिकारी को सौंप भी दी है, इसमें कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं.
हरे शैवालों का गंगा को अपनी जद में लेने के पीछे सबसे बड़ी वजह रिपोर्ट में अपस्ट्रीम मिर्जापुर के विंध्याचल एसटीपी का अपग्रेडेशन न होना और पानी के कम बहाव का होना बताया गया है. पिछले साल की तुलना में अधिक तापमान का बढ़ना भी इसमें शामिल है. जिसके बाद जिलाधिकारी की ओर से STP विंध्याचल में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से संस्तुति भी कर दी गई है.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में गंगा में हरे शैवाल को खत्म करने के लिए विंध्याचल STP के अपग्रेडेशन, गंगा में बहाव को बढ़ाना, स्कीमर का प्रयोग और आर्गेनिक नॉन हजार्ड कैमिकल का गंगा में छिड़काव का सुझाव दिया है.
काशी के गंगा घाटों के किनारे हरे शैवालों को पनपने की जांच को लेकर बनाई गई कमेटी के बारे में आई रिपोर्ट और सुझाव को लेकर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि गंगा में जब मई महीने में हरे शैवाल दिखे थे तो पॉलूशन विभाग की ओर से एक कमेटी बनाई गई थी, लेकिन फिर हवा और बारिश के चलते हरे शैवाल की समस्या खत्म हो गई थी.
लेकिन जून में दोबारा ग्रीन एलगी दिखाई देने लगे. 5-5 अलग-अलग विभागों को मिलाकर कमेटी बनाई गई. जिसमें अपर नगर मजिस्ट्रेट (द्वितीय), क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सहायक पुलिस आयुक्त (दशाश्वमेध), अधिशासी अभियन्ता बंधी प्रखण्ड एवं महाप्रबंधक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की पांच सदस्यीय टीम गठित की है.
उन्होंने पूरी जांच की और गंगा के अपस्ट्रीम में भी हो कर आए. जितने भी नदी और नाले, गंगा में गिरते हैं उनका परीक्षण किया. लास्ट में उन्होंने सोर्स का भी पता लगाया. इसमें पता चला कि मिर्जापुर के विंध्यधाम के अंतर्गत एसटीपी पुरानी तकनीक पर चलता है.
उसी में बारिश होने के चलते वह ओवरफ्लो हो गया और ग्रीन एलगी नदी में आया और वहीं से यह स्त्रोत बन गया. इसके अलावा तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई जो पिछले साल की तुलना में 2 डिग्री ज्यादा है और इसके साथ ही हुई धूप के चलते ग्रीन एलगी की मात्रा गंगा में बढ़ती चली गई.
टीम ने गंगा में सभी जगहों की सैंपलिंग भी की जिसमें किसी प्रकार का हानिकारक और विषैला पदार्थ नहीं पाया गया. लेकिन यह पहली बार हुई घटना है. इसलिए करेक्टिव मेजर्स लिए जाने हैं. जिसको लेकर गठित टीम का सुझाव दिया था कि एसटीपी को अपग्रेड कराया जाए और उनकी टेक्नोलॉजी को देखा जाए और इस तरह का ग्रीन एलगी विकसित ही ना होने पाए. इसका भी एसटीपी में सिस्टम डेवलप हो.
इसके अलावा यह भी पाया गया कि गंगा नदी में बहाव कम है. हालांकि मई-जून के महीने में गंगा में बहाव कम होता है, लेकिन बहाव तेज करने के बारे में भी रिपोर्ट में सुझाव दिए गए हैं. इसके अलावा गंगा में स्कीमर मशीन लगाने के भी सुझाव दिए गए हैं.
इसको देखते हुए एनएमसीजी के माध्यम से दो स्कीमर मशीन मांगी गई हैं. ताकि हरे शैवाल को स्कीम करके गंगा से निकाल लिया जाए और वह आगे ब्रीडिंग का सोर्स न बन सके. इसके अलावा प्रदूषण को नियंत्रण करने के भी एक-दो सुझाव आए हैं जिसको जून में चालू होने वाली एसटीपी के तहत देखा जा रहा है.
उन्होंने आगे बताया कि जांच कमेटी की ओर से सभी सुझाव को अमल किया जा रहा है जिला प्रशासन के स्तर पर हर कोशिश शुरू कर दी गई है और इसके अलावा प्रदेश और केंद्र सरकार की ओर से जुड़े कार्यों के बाबत उनको रिकमेंडेशन भेजा जा रहा है.
इसके तहत कोशिश की जाएगी कि वह भी हफ्ते से 10 दिन के अंदर लागू हो जाए. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से दो टास्क हैं एक तो एसटीपी का अपग्रेडेशन जिसमें थोड़ा वक्त लग सकता है और दूसरा पानी में फ्लो का बढ़ना. बारिश के मौसम में जैसे ही गंगा में पानी का बहाव बढ़ेगा, जिसके चलते यह समस्या हल हो जायेगी.
एक ऐसे विकल्प के रूप में यह भी देखा जा रहा है. इसके तहत गंगा किनारे ऐसे नॉन हजार्ड्स ऑर्गेनिक रसायन का छिड़काव कराया जाए जिससे हरे शैवाल पनप ही ना सके. हालांकि ऐसा कोई केमिकल अभी नहीं मिला है. एक्सपर्ट कमेटी ने इसके लिए बीएचयू के एक्सपर्ट से संपर्क करने को कहा है. उन्होंने कहा फिलहाल एसटीपी का अपग्रेडेशन और पानी में बहाव का बनाना यह सारी चीजें एक महीने में शुरू हो जाएगी.
मिर्जापुर के एसटीपी में हुई लापरवाही के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी ने बताया कि नगर विकास विभाग के अंतर्गत आने वाले जल निगम विभाग को कमेटी की आई रिपोर्ट के अनुसार लिखा जा रहा है कि वह अपने स्तर से एसटीपी को चेक करा ले. और अगर वहां पर किसी तरह की कोई और स्थिरता रही हो और अगर किसी तरह की कमी है तो उसको अपग्रेड कराया जाए. अगर किसी ने ध्यान नहीं दिया है तो मई के बाद तो जून में ध्यान दिया जाना चाहिए. इसलिए ऐसे लापरवाह लोगों को चिन्हित करके उन पर कार्यवाई की जानी चाहिए.