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हाथरस कांड: पीड़ित परिवार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में लगाई थी याचिका, हुई खारिज

गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पीड़ित परिवार की याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि पीड़ित परिवार की तरफ से हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल हुई थी. पीड़ित परिवार ने लोगों से मिलने-जुलने की पूरी छूट दिए जाने और अपनी बात खुलकर रखे जाने की मांग की थी.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका (फाइल फोटो) इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • प्रयागराज,
  • 09 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:08 AM IST
  • हाथरस केस के पीड़ित पक्ष ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका
  • पीड़ित परिवार ने लोगों से मिलने-जुलने की छूट देने की मांग की
  • सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका कर दी खारिज

यूपी के हाथरस में एक दलित लड़की के साथ हुई जघन्य घटना और उसके बाद रात में हुए उसके अंतिम संस्कार से सूबे का सियासी पारा ऐसा चढ़ा कि थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं दूसरी ओर अब ये मामला कोर्ट तक जा पहुंचा है. एक ओर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हो रही है तो वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी हाथरस के पीड़ित परिवार की तरफ से एक याचिका दाखिल की गई थी.

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जानकारी के मुताबिक गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पीड़ित परिवार की याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि पीड़ित परिवार की तरफ से हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल हुई थी. पीड़ित परिवार ने लोगों से मिलने-जुलने की पूरी छूट दिए जाने और अपनी बात खुलकर रखे जाने की मांग की थी.

पीड़ित परिवार की तरफ से सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अर्जी में कहा गया था कि पुलिस-प्रशासन की बंदिशों के चलते पीड़ित परिवार घर में कैद सा होकर रह गया है. बंदिशों के चलते तमाम लोग मिलने नहीं आ पा रहे हैं. परिवार किसी से खुलकर अपनी बात नहीं कह पा रहा है. 

इसके अलावा याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकारी अमला पीड़ित परिवार के लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने दे रहा है. याचिका में कहा गया था कि इंसाफ पाने के लिए पीड़ित परिवार से बंदिशें हटना जरूरी है. गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई.

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हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पीड़ित परिवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सुरक्षा मिल चुकी है. अगर पीड़ित पक्ष को लगता है तो वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं.

 

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