
पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर आज जेल में भ्रष्टाचार की शिकायत पर बयान दर्ज कराने के लिए उपस्थित हुए. उन्हें इस मामले में डीआईजी जेल लखनऊ शैलेंद्र मैत्रेय के सामने बयान दर्ज कराना था. उन्होंने शिकायत की थी कि लखनऊ जेल में कैदियों को सुविधा के नाम पर 2-3 गुने दाम पर सामानों की बिक्री की जाती है.
पूर्व अधिकारी अमिताभ ने कहा कि तीन दिन पहले डीआईजी द्वारा लखनऊ जेल में मारे गए छापे के बारे में मीडिया में करीब सवा लाख रुपए केश बरामद होने की खबर निकली है, जबकि डीआईजी का बयान आया है कि कैश नहीं बल्कि जेल के कूपन बरामद हुए.
वीडियो वाल दिखाने की मांग खारिज
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि जेल में रुपये नहीं, केवल कूपन चलते हैं. ऐसे में रुपये की बरामदगी और कूपन की बरामदगी में बहुत अंतर है. रुपये को कूपन बताये जाने से पूरा मामला बदल जाता है. इसलिए उन्होंने डीआईजी से निष्पक्ष जांच के लिए सबसे पहले जेल मुख्यालय में स्थित वीडियो वाल दिखाने को कहा, जिस पर प्रदेश की सभी जेलों की सभी घटनाएं रिकॉर्ड होती हैं ताकि यह सामने आये कि वास्तव में क्या बरामद हुआ था. इस पर डीआईजी ने वीडियो वाल दिखाने से इनकार कर दिया.
जांच में लीपापोती का आरोप
अमिताभ ने डीआईजी के इस कार्य को संदिग्ध बताते हुए कहा कि डीजी जेल की जांच में लीपापोती की जा रही दिखती है. उन्होंने कहा कि इतने गंभीर और संवेदनशील मामले में ऐसी अपारदर्शिता जांच पर प्रश्नचिन्ह लगाती है. उन्होंने कहा कि उनके आरोप पूरी तरह सही हैं और वे अब इस बारे में लोकायुक्त को ही साक्ष्य सौंपेंगे.
जेल में मिलती हैं दैनिक उपयोग की चीजें
जेल से रिहा होने के बाद पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया था कि लखनऊ जेल में सुविधा के नाम पर दैनिक उपयोग की तमाम वस्तुएं जैसे सब्जियां, दुग्ध उत्पाद, बीड़ी आदि की बिक्री होती है. हर सामान बढ़े हुए दामों पर बेचा जा रहा है.
अमिताभ को 7 महीने बाद मिली जमानत
बता दें कि अमिताभ ठाकुर को रेप पीड़िता को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बीते साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद वे करीब सात महीने बाद वे जमानत पर रिहा हुए.