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स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारियों की घोषणा, दो नए शंकराचार्य बनाए गए

बता दें कि उत्तर के ज्योतिषपीठ एवं पश्चिम के द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती का शनिवार को निधन हो गया था. वे 99 साल के थे. उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित आश्रम में आखिरी सांस ली. आज उनको आश्रम में भूसमाधि दी जाएगी.

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारियों की घोषणा, दो नए शंकराचार्य बनाए गए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारियों की घोषणा, दो नए शंकराचार्य बनाए गए
शिल्पी सेन
  • लखनऊ,
  • 12 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

ज्योतिष पीठ एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के दूसरे दिन नए उत्तराधिकारियों की घोषणा कर दी गई है. ज्योतिष पीठ(ज्योतिर पीठ) के नए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती होंगे. जबकि शारदा पीठ के नए शंकराचार्य सदानंद सरस्वती को बनाया गया है.

शंकराचार्य स्वरूपनानंद सरस्वती को समाधि से पहले ही इस संबंध में सोमवार को घोषणा कर दी गई. शंकराचार्य परंपरा के अनुसार गुरु की समाधि से पहले ही उत्तराधिकारी की घोषणा की जाती है. स्वरूपानंद सरस्वती दो पीठों के शंकराचार्य थे. दोनों पीठों के लिए उन्होंने अलग-अलग उत्तराधिकारी तय लिए थे. उनके निजी सचिव ने उनका ‘विल’ पढ़कर घोषणा की है.

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99 साल की उम्र में हुआ है निधन

बता दें कि उत्तर के ज्योतिषपीठ एवं पश्चिम के द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती का शनिवार को निधन हो गया था. वे 99 साल के थे. उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित आश्रम में आखिरी सांस ली. आज उनको आश्रम में भूसमाधि दी जाएगी.

नरसिंहपुर के आश्रम में रहते थे शंकराचार्य

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का गंगा आश्रम मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर में हैं. उन्होंने रविवार को यहां दोपहर 3.30 बजे ली अंतिम सांस ली. स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म एमपी के सिवनी में 2 सितंबर 1924 को हुआ था. वे 1982 में गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने थे.

बचपन में छोड़ दिया था घर, आजादी की लड़ाई में जेल भी गए

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आज स्वामी स्वरूपानंद के अंतिम संस्कार की पूरी रस्में लगभग दो घंटे तक चलेंगी. शंकराचार्य सरस्वती के माता-पिता ने बचपन में उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था. उन्होंने 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और धर्म की तरफ रुख किया. उन्होंने काशी (यूपी) में वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली. स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती ने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था. उन्होंने 15 महीने की जेल में सजा काटी. सरस्वती ने यूपी के वाराणसी में 9 और मध्य प्रदेश में 6 महीने जेल की सजा काटी थी. 

 

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