
उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और वरिष्ठ नेता आजम खान के इस्तीफे के बाद खाली हुईं इन सीटों हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है. आजमगढ़ से बीजेपी के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ तो रामपुर से धनश्याम लोधी सपा के गढ़ में सेंध लगाने में सफल रहे. सपा को मिली हार पर अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, यूपी उपचुनाव के नतीजे ये दिखाते हैं कि सपा में बीजेपी को हराने की न तो काबिलियत है और ना कुव्वत. मुसलमानों को चाहिए कि वो अब अपना कीमती वोट ऐसी निकम्मी पार्टियों पर जाया करने की बजाय अपनी खुद की आजाद सियासी पहचान बनाए और अपने मुकद्दर के फैसले खुद करे.
रामपुर और आज़मगढ़ चुनाव के नतीजे से साफ़ ज़ाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो क़ाबिलियत है और ना क़ुव्वत। मुसलमानों को चाहिए कि वो अब अपना क़ीमती वोट ऐसी निकम्मी पार्टियों पर ज़ाया करने के बजाये अपनी खुद की आज़ाद सियासी पहचान बनाए और अपने मुक़द्दर के फ़ैसले ख़ुद करे।
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 26, 2022अहंकार से भरे हैं अखिलेश- ओवैसी
इतना ही नहीं असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, अखिलेश यादव में इतना अहंकार है कि जिस सीट से उनके पिता सांसद बने. बाद में वे सांसद बने. वे वहां जाकर जनता को ये भी बताने नहीं गए, कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. इतना अहंकार, इसी की वजह से सपा हार हुई. उन्होंने कहा, अब बीजेपी की जीत के लिए कौन जिम्मेदार है? अखिलेश किसे बी टीम और सी टीम बताएंगे.
आजमगढ़ और रामपुर में सपा को मिली हार
दरअसल, अखिलेश यादव और आजम खान ने विधानसभा चुनाव लड़ा था. दोनों ने जीतने के बाद अपनी अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इन सीटों पर चुनाव कराए गए. आजमगढ़ से बीजेपी के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को 8,679 वोट से हराया. तो वहीं, रामपुर में बीजेपी के धनश्याम लोधी ने सपा के मोहम्मद आसिम रजा को करीब 42000 वोटों से मात दी. आजमगढ़ और रामपुर सपा की गढ़ रही हैं. ऐसे में इन सीटों पर बीजेपी के जीतने के बाद अखिलेश यादव की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.