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बीएचयू में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त का संबोधन, नई शिक्षा नीति पर कही ये बात

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आए ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल पत्नी के साथ दशाश्वमेध घाट पहुंचकर गंगा आरती में शामिल हुए. इस घाट पर वे करीब 40 मिनट तक रुके. इसके बाद वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विज्ञान संस्थान के महामना सभागार में पहुंचे, जहां उन्होंने बीएचयू के छात्रों व संकाय सदस्यों को संबोधित किया. 

गंगा आरती देख मंत्रमुग्ध हुए ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त गंगा आरती देख मंत्रमुग्ध हुए ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 24 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 9:03 AM IST
  • गंगा आरती देख मंत्रमुग्ध हुए ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त 
  • करीब 40 मिनट तक रुके दशाश्वमेध घाट पर 
  • बीएचयू के छात्रों व संकाय को किया संबोधित  

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आए ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फरैल ने कहा है कि नई शिक्षा नीति 2020, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच महत्वपूर्ण साझेदारियों को और विकसित करने का बेहतरीन अवसर है. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विज्ञान संस्थान के महामना सभागार में बीएचयू के छात्रों व संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत सुधारात्मक परिवर्तन के लिए किए जा रहे भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की.

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उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने आधुनिक भारतीय इतिहास में ऐतिहासिक योगदान दिया है. स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले अपने विद्वानों व ख्यातिलब्ध पुरा छात्रों तथा आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उपलब्धियों की बदौलत विश्वविद्यालय 100 वर्षों से भी अधिक समय से शिक्षा एवं नेतृत्व उत्कृष्ठता में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

उच्चायुक्त ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरीसन ने इस बात को रेखांकित किया है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंध पारस्परिक समझ, विश्वास, साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों व विधि सम्मत शासन के सिद्धांतों पर आधारित हैं. ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने कहा कि दोनों प्रधानमंत्री इस बात पर एकमत हैं कि शिक्षा, शोध व कौशल विकास, भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा न सिर्फ हमारे देशों के विकास को गति देती है, बल्कि कोविड-19 के संकट से उबरने में भी हमें सहायता कर रही है.

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कोविड-19 महामारी से निपटने एवं टीकाकरण अभियान के लिए भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए बैरी ओ फरैल ने कहा कि इस महामारी से उबरने की दिशा में भारत अनुकरणीय नेतृत्व दे रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑस्ट्रेलिया चिकित्सा, ऊर्जा, इंजीनियरिंग, बायोसाइंसेज जैसे कई क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य कर रहा है और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया एवं भारतीय उद्योंगों की शोध विशेषज्ञता से न सिर्फ नए उत्पाद पैदा हो सकते हैं, बल्कि नए ज्ञान व समझ का भी सृजन होगा, जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण है.

 
ये बोले कुलपति 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि महान शिक्षाविद् एवं स्‍वतंत्रता सेनानी भारत रत्‍न महामना पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्‍थापित काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय अपने आप में बहुत अनूठा विश्‍वविद्यालय है, जहां विज्ञान से लेकर अध्‍यात्‍म, प्राचीन से लेकर आधुनिक प्रौद्योगिकी एवं संस्‍कृति व मूल्‍यपरक शिक्षा का अद्भुत संगम दिखता है. उन्‍होंने कहा कि अध्‍यापन, शोध व नवोन्‍मेष के क्षेत्र में काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय का योगदान उल्‍लेखनीय है. शोध व नवोन्‍मेष के लिए अत्‍याधुनिक उपकरणों व सुविधाओं की उपलब्‍धता से लेकर स्‍टार्टअप को प्रोत्‍साहन देने के लिए इन्‍क्‍यू‍बेशन सेन्‍टर एवं बेहतरीन चिकित्‍सा सुविधाओं के लिए स्‍पेशिएलाइज्‍ड अस्‍पताल या अनुसंधान केन्‍द्र की स्‍थापना तक, काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय ने कई महत्‍वपूर्ण पहल की हैं. कुलपति ने ऑस्‍ट्रेलिया के संस्‍थानों के साथ बीएचयू की साझा पहलों का भी जिक्र किया.

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विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान 

स्‍वागत भाषण देते हुए विज्ञान संस्‍थान के निदेशक प्रो.एके त्रिपाठी ने कहा कि काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय को देश के शीर्ष संस्‍थानों में एवं भारत सरकार द्वारा चयनित इंन्‍स्‍टीट्यूशन ऑफ एमिनेन्‍स की सूची में शामिल करने में विज्ञान संस्‍थान का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है. उन्‍होंने कहा कि संस्‍थान के शिक्षकों की वैज्ञानिक उपलब्धियों ने विश्‍वविद्यालय को व्‍यापक स्‍तर पर ख्‍याति तो दिलाई ही, विश्‍व के शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची में भी संस्‍थान के सदस्‍यों के नाम शामिल किये गये हैं. उन्‍होंने कहा कि बीएचयू ऐसा इकलौता विश्‍वविद्यालय है, जिसे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 17 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान प्राप्‍त हुआ है, जिससे वैज्ञानिक विश्‍लेषण के अत्‍याधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे, जिससे शोध एवं अनुसंधान की गुणवत्‍ता को नई रफ्तार मिलेगी.

 
गंगा आरती देख मंत्रमुग्ध हुए उच्चायुक्त 

ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फरैल ने वाराणसी में दिन की शुरुआत तुलसी घाट से गंगा में नौका विहार से की, जिसके बाद वह बीएचयू गए और भगवान बुद्ध के उपदेश स्थली सारनाथ का भी भ्रमण किया. शाम को वे दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में भी शामिल हुए. दशाश्वमेध घाट ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फरैल 40 मिनट तक बैठकर गंगा आरती देखते रहे. आरती के दौरान उच्चायुक्त कभी वीडियो तो कभी फोटो भी खींचते नजर आए. आरती देख मंत्रमुग्ध उच्चायुक्त ने गंगा सेवा निधि के विजिटर बुक में हिंदी में लिखा "अरे वाह मुझे गंगा आरती बहुत अच्छा लगा, अद्भुत"

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