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तेजी से हो रहा है राम मंदिर निर्माण का कार्य, खुदाई की मिट्टी घर ले जा रहे हैं श्रद्धालु

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य का काम तेजी से हो रहा है. प्राचीन मंदिर की खुदाई के साथ-साथ निकल रही मिट्टी भी प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को दी जा रही है.

तेजी से हो रहा राम मंदिर निर्माण का काम (फाइल फोटो) तेजी से हो रहा राम मंदिर निर्माण का काम (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • अयोध्या ,
  • 15 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST
  • नींव खुदाई के बाद अब भराई का काम शुरू हुआ
  • 44 परतों में भरी जाएगी नींव

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य का काम तेजी से हो रहा है. यहां पर खुदाई के दौरान निकली मिट्टी भी प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को दी जा रही है. क्योंकि, नींव खुदाई के बाद अब भराई का काम शुरू हो गया है.

अगले महीने यानी मई में नींव भराई का पहला चरण पूरा हो जाने की उम्मीद है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के मुताबिक फिलहाल नींव की पहली परत का काम मई में पूरा हो जाएगा. मंदिर की नींव कुल 44 परतों में भरी जानी है.  विशेषज्ञों की राय के हवाले से न्यास का कहना है कि सितंबर के अंत तक राम मंदिर की नींव भराई का काम पूरा हो जाएगा.

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भूमि के स्तर के मुताबिक 50 से 55 फीट गहराई तक मंदिर की नींव भराई की लेयर 40 फीसदी तैयार हो चुकी है. शेष काम 20 से 25 अप्रैल तक पूरा होने की उम्मीद है. वास्तु विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लेयर को 25 से 30 दिन तक सूखने के लिए छोड़ा जाता है. इसके बाद वायब्रो रोलर के जरिए इसकी क्षमता मापी जाती है. मंदिर निर्माण के लिए 2.77 एकड़ में 400 फुट लंबी ढाई सौ फुट चौड़ी और करीब 55 फुट गहरी खुदाई की गई है. फिलहाल, गड्ढा समुद्र तल से 95 मीटर ऊंचा है. इसे 107 मीटर तक लाना है.

नींव की पहली लेयर की ढलाई के साथ ही इसे मशीनों से कॉम्पेक्ट किया जा रहा है. अगस्त से पहले 20 फीट गहराई तक नींव ढाल लेने की योजना है. नींव को पारंपरिक रीति से पाटने के बजाए ईएफएम से वाइब्रो स्टोन कॉलम प्रोसेस से ऊपर तक लाया जाएगा. भूमि को ठोस बनाने के लिए जो ईएफएम इंजीनियरिंग फिल्ड मटेरियल इस्तेमाल हो रहा है उसमें सीमेंट, मोरंग, कंक्रीट, सिलिकॉन और फ्लाईऐश मिलाई गई है.

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नींव भराई के लिए परिसर में ही मिक्सिंग प्लांट लगाया गया है. दो वाईब्रो रोलर ढलाई को कॉम्पेक्ट कर रहे हैं, पूरे काम में 50 मजदूर व एक दर्जन से अधिक इंजीनियर लगे हैं. नींव में कंक्रीट के साथ मिर्जापुर के हदों के पत्थर भी इस्तेमाल होने हैं.

 

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