
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी-मस्जिद विवाद में हिंदू-मुस्लिमों की दावेदारी के बाद अब बौद्ध समुदाय ने भी अपना दावा ठोक दिया है. सुप्रीम कोर्ट में बौद्ध समुदाय के कुछ लोगों ने याचिका लगाकर दावा किया है कि यह विवादित जमीन बौद्धों की है. यहां पर पहले एक बौद्ध स्थल था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बौद्ध धर्म के लोगों की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य मुद्दे की सुनवाई वाली बेंच ही कर सकती है सुनवाई.
अयोध्या में रहने वाले विनीत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में याचिका दायर की है. उन्होंने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा चार बार की जाने वाली खुदाई के आधार पर यह दावा किया है. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर अयोध्या में अंतिम खुदाई साल 2002-03 में हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पिछले हफ्ते ही दायर की गई है. इसे संविधान के अनुच्छेद 32 (अनुच्छेद 25, 26 और 29 के साथ) के तहत एक दीवानी मामले के रूप में दर्ज किया गया है.
कहा गया है कि यह याचिका बौद्ध समुदाय के उन सदस्यों की तरफ से दायर की गई है जो भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के आधार पर अपनी जीवन जी रहे हैं.
याचिका में दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले उस जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ा ढांचा था. मौर्य ने अपनी याचिका में कहा है, 'एएसआई की खुदाई से पता चला है कि वहां स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे थे. इससे साफ जाहिर होता है कि किसी बौद्घ विहार की विशेषता होते हैं.'
मौर्य ने दावा किया है, ' अयोध्या में जिन 50 गड्ढों की खुदाई हुई है, वहां किसी भी मंदिर या हिंदू ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं.'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद मामले पर सुनवाई तेज हुई है. माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले पर जल्द सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखकर कभी भी सुना सकता है.