
अयोध्या में राम मंदिर के लिए खरीदी जा रही जमीन पर एक के बाद एक विवाद हो रहे हैं. अब 22 फरवरी को खरीदी गई एक जमीन पर हंगामा खड़ा हो गया है. इस साल 22 फरवरी को अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसादचार्य से अयोध्या मेयर के भांजे दीपनारायण ने गाटा संख्या 135 की 890 वर्गमीटर जमीन 20 लाख में खरीदी थी, जोकि 11 मई को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेच दी. अब उसी जमीन का एक नया दावेदार भी सामने आ गया है.
नए दावेदार हैं अयोध्या के चौबुर्जी मंदिर के महंत बृज मोहन दास. इनका कहना है कि खसरे में यह जमीन दशकों से उनके गुरुओं के नाम रही. गाटा संख्या 135 की इस जमीन में उनके गुरु रामआसरे दास सिकमी काश्तकार के रूप में दर्ज है. यह जमीन नजूल की है और सरकारी है. इस जमीन में देवेंद्र प्रसादचार्य कभी आए ही नहीं. जमीन पर कब्जा उनका था और वह दशकों से यहां खेती करते थे.
वहीं, महंत बृज मोहन दास ने कहा है कि ट्रस्ट ने हमसे भी सीधे जमीन खरीदी, लेकिन यह जमीन खाली कराने एडीएम संतोष आए और कहा कि यह जमीन नजूल की है और सरकारी है इसलिए जमीन तुरंत खाली करें. उन्होंने कहा कि यह जमीन ट्रस्ट को देनी है. लिहाजा यह सोचकर वह चुप रहे कि राम मंदिर के लिए जमीन जानी है.
वहीं, बाद में पता चला कि जमीन तो लाखों में खरीदी गई और करोड़ों में बिकी. बृज मोहन दास आगे कहते हैं कि हमने तो ट्रस्ट से सीधे जमीन खरीदी है और अगर ट्रस्ट को जमीन लेनी थी तो हम राम मंदिर के लिए वैसे ही दे देते.