
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अफसरों के रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीद-फरोख्त मामले में कुछ और तथ्य सामने आए हैं. अनुसूचित जाति के रोघई ने महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को जो जमीन दान दी थी. इसके बाद ट्रस्ट ने 15 लोगों को लगभग 17 एकड़ जमीन बेच दी. अब सामने आया है कि अफसरों के रिश्तेदारों ने जो जमीन ट्रस्ट से खरीदी है, वह रोघई की ओर से दान की गई जमीन नहीं है. बता दें कि रोघई को ट्रस्ट का भरोसेमंद बताया जा रहा है. आरोप है कि ट्रस्ट ने पहले रोघई के नाम पर दलितों से जमीन खरीदी. फिर उसी जमीन को 1996 में दान पत्र के जरिए ट्रस्ट के नाम करा ली.
दावा- ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन गैर विवादित है
कमिश्नर एमपी अग्रवाल, रेवेन्यू ऑफिसर पुरुषोत्तम दास गुप्ता, डीआईजी दीपक कुमार के रिश्तेदारों का दावा है कि उन्होंने ट्रस्ट से जो जमीन खरीदी है, वह गैर विवादित है. डीआईजी दीपक कुमार के रिश्तेदार ने बताया कि जमीन पर विवाद का सवाल ही नहीं उठता. उनका दावा है कि डीआईजी दीपक कुमार के तबादले के 6 महीने बाद उन्होंने 18 लाख रुपए की जमीन खरीदी थी. फिलहाल, जो विवाद चल रहा है, उस विवाद से उनका कोई लेना-देना नहीं है.
1 अक्टूबर 2020 को अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, उनके पिता बद्री झा ने भी निजी काश्तकार मंशाराम सिंह से 24 लाख रुपए में जमीन खरीदी थी.
दान से लेकर खरीदने और जांच तक.... जानिए कब-कब क्या हुआ