
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहा राम मंदिर विवादों में आ गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा साढ़े 18 करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन पर विपक्ष ने घोटाले का आरोप लगाया है. इस पूरे मामले में जिस प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी का नाम सामने आया है, उसको लेकर कई जानकारी पता चली हैं.
अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट को जमीन देने वाला सुल्तान अंसारी समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता है. सुल्तान अंसारी ने अयोध्या में पार्षद का चुनाव भी लड़ा है.
इतना ही नहीं, जिस कथित जमीन घोटाले का आरोप समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक पवन पांडे ने लगाया था, ये सुल्तान अंसारी उन्हीं का करीबी बताया जाता है. सुल्तान अंसारी की समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ तस्वीर भी सामने आई है.
कौन हैं सुल्तान अंसारी?
राम मंदिर से जुड़ी जमीन जिसका दाम 2 करोड़ था और दस मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ होने का दावा किया जा रहा है, इसमें डीलर सुल्तान अंसारी का नाम सामने आया है. सुल्तान अंसारी को अयोध्या के बड़े प्रॉपर्टी डीलर्स में गिना जाता है. सुल्तान के पिता नन्हे मियां अंसारी भी प्रॉपर्टी डीलर रह चुके हैं.
सुल्तान अंसारी ने साल 2017 में अयोध्या के कटरा विभीषण कुंड वार्ड से पार्षदी का चुनाव लड़ा था. सुल्तान अंसारी ने समाजवादी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी ने इन्हें चुनाव में मात दी थी. सुल्तान अयोध्या सपा लोहिया वाहिनी के महानगर अध्यक्ष रह चुके हैं.
क्लिक करें: कौन हैं सुल्तान अंसारी जिन्होंने दस मिनट में ही राम मंदिर ट्रस्ट से कमा लिए साढ़े 16 करोड़
जमीन विवाद को लेकर सुल्तान अंसारी ने क्या कहा?
जब से कथित जमीन घोटाला सामने आया है, सुल्तान अंसारी सुर्खियों में हैं. उन्होंने इस विवाद को गलत करार दिया है और हर आरोप को नकारा है. सुल्तान अंसारी के मुताबिक, 2011 में इस जमीन का पहली बार एग्रीमेंट हुआ था, जब इसकी कीमत सिर्फ एक करोड़ थी. जब 2019 में दोबारा एग्रीमेंट हुआ तब ये कीमत 2 करोड़ तक पहुंची.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को ज़मीन देने को लेकर सुल्तान अंसारी ने साफ किया कि मार्च में ट्रस्ट ने जमीन को लेकर संपर्क किया था, कई दौर की लंबी बातचीत चली और अंत में ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ रुपये में सौदा तय किया.
विपक्ष ने जो आरोप लगाया था कि सिर्फ दस मिनट में ही जमीन के दाम बढ़ गए, उसपर सुल्तान अंसारी की ओर से कहा गया कि लंबे वक्त से जमीन को लेकर बातचीत चल रही थी, ऐसे में कुछ भी मिनटों में नहीं हुआ है. जहां तक जमीन के दाम की बात है तो ट्रस्ट को कम रेट में जमीन मिली है, सुल्तान अंसारी का दावा है कि जब जमीन दी गई, तब इसका मार्केट रेट 24.5 करोड़ रुपये तक था, जबकि ट्रस्ट को ये सिर्फ 18.5 करोड़ रुपये में मिली है.
जमीन विवाद के कारण हुई ट्रस्ट की किरकिरी
समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने जमीन विवाद के मसले को जोर शोर से उछाला. राम मंदिर ट्रस्ट के चम्पत राय ने बार-बार कहा कि ये आरोप राजनीतिक हैं, उन्होंने लिखित में जवाब दिया कि सर्किल रेट के अनुसार ही जमीन को खरीदा गया है, सौदा लंबे वक्त पहले ही तय हो गया था लेकिन जमीन के नए रेट बढ़ चुके हैं.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से इस पूरे विवाद पर केंद्र सरकार, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.