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28 सालः अब तक राम मंदिर की राह देख रही हैं कारसेवकों की आत्माएं

अयोध्या में राम मंदिर के लिए 28 साल पहले पांच कारसेवकों ने अपनी जान दी थी. बावजूद इसके अभी तक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो सका है.

अयोध्या में राम मंदिर (फोटो-aajtak.in) अयोध्या में राम मंदिर (फोटो-aajtak.in)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 3:00 PM IST

अट्ठाइस साल पहले आज ही दिन अयोध्या में राम मंदिर के लिए पहली बार पांच कारसेवकों की जान गई थी.  बावजूद इसके अभी तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो सका है. हालांकि, इन दिनों हिंदू संगठनों के एक बार फिर राम मंदिर निर्माण को लेकर तेवर सख्त हो गए हैं.

मुलायम सिंह यादव 1990 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. राम मंदिर आंदोलन उफान पर था. बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा पर थे. मुलायम सिंह ने कहा था कि मस्जिद पर परिंदा भी पार नहीं मार सकेगा.

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30 अक्टूबर, 1990 को कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी. प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था, इसके चलते श्रद्धालुओं के प्रवेश नहीं दिया जा रहा था. पुलिस ने विवादित ढांचे के 1.5 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखा था. हालांकि कर्फ्यू को धता बताते हुए हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी पहुंच गए, जो ढांचे के करीब था.

साधु-संतों ने करीब रात 11 बजे सुरक्षा बल की उस बस को काबू करने में कामयाब हो गए, जिसमें पुलिस कारसेवकों को हिरासत में लेकर शहर से बाहर छोड़ने के लिए इंतजाम किया गया था. इन बसों को हनुमान गढ़ी मंदिर के पास खड़ा किया गया था.

इसी बीच एक साधु ने बस ड्राइवर को धक्का देकर निचे गिरा दिया. इसके बाद वो खुद ही बस की स्टेयरिंग पर बैठ गया, जिसके बाद बैरिकेड को तोड़ते हुए बस को लेकर विवादित परिसर की ओर बढ़ चला. इस दौरान बस की टक्कर से हनुमानगढी मंदिर से लेकर विवादित परिसर के बीच बैरिकेड टूट गए. इसके बाद तो बाकी कारसेवकों विवादित स्थल पर पहुंचने में कामयाब हो गए।

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तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का साफ निर्देश दिया था कि मस्जिद को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. पुलिस पहले ही लोगों को तितर बितर करने के लिए केवल आंसू गैस के गोलो छोड़ने को तैयारी कर रखी थी.

कारसेवक मस्जिद की गुंबद पर चढ़ गए और वो भगवा झंडा भी फहराने में कामयाब हो गए. इसके बाद पुलिस ने कारसेवकों पर फायरिंग शुरू कर दी. सरकारी आंकड़ो के मुताबिक अयोध्या में 30 अक्टूबर को 1990 को फायरिंग में 5 कारसेवक मारे गए.

हालांकि कारसेवकों को कहना था कि यूपी सरकार ने मृतकों का जो आंकड़ा दिया वह हकीकत की तुलना में बेहद कम है. इसके बाद अयोध्या से लेकर यूपी के दूसरे शहरों में मुलायम सिंह के खिलाफ आवाज उठने लगी. यहीं से मुलायम सिंह का नाम 'मुल्ला मुलायम' पड़ गया.

इस घटना को हुए 28 साल हो गए हैं. अब देश में एक बार राम मंदिर को लेकर माहौल बनाया जा रहा है. विजयदशमी के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाना चाहिए. इससे पहले संतों की धर्म संसद में भी ऐसी मांग उठी थी. इस तरह की कयासबाजी शुरू हुई कि 2019 के चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाया जा सकता है.

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अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरएसएस और वीएचपी की ओर से केंद्र सरकार पर कानूनी राह अपनाने के लिए दबाव बढ़ा दिया गया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट में मामला पेंडिंग रहते हुए सरकार इस बारे में कानून ला सकती है ?

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