Advertisement

अयोध्या विवाद का ‘शिया प्लान’, लखनऊ में 'अमन की मस्जिद' के निर्माण का प्रस्ताव

शिया वक्फ बोर्ड के मसौदे के मुताबिक विवादित जगह पर राम मंदिर बनाई जाए और मस्जिद लखनऊ में बनाई जाए. मसौदे के मुताबिक मस्जिद को किसी राज और शासक ने नाम पर रखने के बजाए इसे अमन की मस्जिद कहा जाए.

अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरी और शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरी और शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 20 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST

राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के समझौते के लिए शिया सेंट्रल वक्फ ने पूरा मसौदा पेश किया है. शिया वक्फ बोर्ड के मसौदे के मुताबिक विवादित जगह पर राम मंदिर बनाई जाए और मस्जिद लखनऊ में बनाई जाए. इस मस्जिद को किसी राज या शासक के नाम पर रखने के बजाए मस्जिद-ए-अमन  नाम रखा जाए.

शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अयोध्या विवाद का समझौते का हल निकालने के लिए एक मसौदा तैयार किया है. इसमें कहा गया है कि विवादित जमीन पर भगवान श्रीराम का मंदिर बने ताकि हिन्दू और मुसलमानों के बीच का विवाद हमेशा के लिए खत्म हो और देश में अमन कायम हो सके.

Advertisement

शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि इस मसौदे के तहत मस्जिद अयोध्या में न बनाई जाए, बल्कि उसकी जगह लखनऊ में बनाई जाए. इसके लिए पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद में घंटा घर के सामने शिया वक्फ बोर्ड की जमीन है, जिस पर मस्जिद बनाई जाए और इसका नाम इसका नाम किसी मुस्लिम राजा या शासक के नाम पर न होकर " मस्जिद-ए-अमन" रखी जाए.

बोर्ड ने अयोध्या के विवादित मामले का फार्मूला 18 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिया. शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के इस मसौदे पर दस्तखत करने वालों में दिगंबर अखाड़े के सुरेश दास, हनुमान गढ़ी के धर्मदास, निर्मोही अखाड़े के भास्कर दास इसके अलावा राम विलास वेदांती, गोपालदास और नरेंद्र गिरी ने भी समर्थन किया है.

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा- हमने अयोध्या विवाद के हल का मसौदा (मस्जिद-ए अमन) सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है, ये मसौदा तमाम लोगों से बातचीत खासकर हिंदू पक्षकारों से बातचीत के बाद तैयार किया गया है, और इस पर सभी सहमत हैं.

Advertisement

रिजवी ने कहा कि हिंदू और शिया इसपर सहमत है,  सुन्नी वक्फ बोर्ड का इससे कोई लेना देना नहीं है वो भी अदालत में है हम भी अदालत में है कोर्ट फैसला करेगा.उन्होंने कहा कि अयोध्या की बजाए हमने लखनऊ में इसलिए प्रस्तावित की है क्योकि पुरानी लखनऊ मे घंटाघर के सामने बड़ी जमीन मौजूद है, यहां शिया आबादी भी काफी है और विवादों से दूर है इसलिए हमारा फॉर्मूला यही है.

बता दें कि शिया वक्फ सेंट्रल बोर्ड ने मुस्लिम पक्षकारों की ओर से इस मसौदे पर कोई सहमति नहीं ली है. विवादित जगह से मस्जिद को हटाकर दूसरी स्थान पर बनाने के राय पर पिछले दिनों सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सहमत नहीं है.

बता दें कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में पार्टी नहीं है. 8 अगस्त को शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने पार्टी बनने के लिए अपील दायर की थी, जिसे सुप्रीमकोर्ट ने रद्द कर दी थी. इसके बाद लगातार वो अयोध्या विवादित मामले पर समझौते के लिए मस्जिद को मुस्लिम बाहुल्य इलाके में बनाने की बात करते रहे हैं और विवादित जगह पर राममंदिर.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement