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आजम खान के परिवार पर एक और संकट, पासपोर्ट केस में बेटे अब्दुल्लाह को पेश होने का आदेश

सपा सांसद आजम खान की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ सकती हैं. मामला आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम से जुड़ा है जिन पर दो पासपोर्ट रखने का आरोप है.

समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के लिए चिंता की बात (फाइल फोटो- Getty Images) समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के लिए चिंता की बात (फाइल फोटो- Getty Images)
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 05 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

  • आजम खान के बेटे के खिलाफ दर्ज है केस
  • दो-दो पासपोर्ट रखने का आरोप, केस कोर्ट में

उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान एक बार फिर मुश्किलों में घिर सकते हैं. मामला आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम से जुड़ा है जिन पर दो पासपोर्ट रखने का आरोप है. इसे लेकर लगातार कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई तारीखों पर अब्दुल्लाह आजम पेश नहीं हुए हैं. इसकी वजह से मंगलवार को कोर्ट में विवेचक ने चार्जशीट दाखिल की, लेकिन कोर्ट ने उसे नामंजूर कर दिया.

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कोर्ट ने इस मामले में विवेचक को फटकार लगाई है. रामपुर की एडीजे 6 कोर्ट ने अब्दुल्लाह आजम के दो पासपोर्ट वाले मामले में विवेचक की चार्टशीट को यह कहकर वापस कर दिया कि इस मुकदमे में धारा 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज है. यह एक हीनियस क्राइम है. इस मामले में 7 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान है. इसीलिए ऐसे मामलों में न्यायालय आरोप पत्र नहीं लेता है. ऐसा कहकर विवेचक को चार्जशीट वापस दे दी गई.

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वहीं न्यायालय ने इस मामले में आरोपी अब्दुल्लाह आजम को पेश होने के आदेश दिए हैं. अब ऐसे में अब्दुल्लाह आजम को अपने बचाव में या तो हाई कोर्ट से स्टे लाना होगा वरना उन पर यह मामला भारी पड़ सकता है. न्यायालय ने विवेचक पुलिस अधिकारी को कहा कि या तो आरोपी को कोर्ट में पेश करें, या हाई कोर्ट से कोई ऐसा स्टे ऑर्डर हो तभी इस पर संज्ञान लिया जाएगा अन्यथा नहीं.

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इस मामले में सरकारी वकील राम अवतार सैनी ने बताया कि मंगलवार को रामपुर के एडीजे 6 कोर्ट में वैसे कोई मामले की सुनवाई नहीं थी. लेकिन एक मामला धारा 420,467,468, 471 आईपीसी और पासपोर्ट अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किया गया था. उसमें विवेचक द्वारा आरोप पत्र पेश किया गया था जिसको कोर्ट ने यह कहते हुए वापस कर दिया कि यह एक हीनियस क्राइम है. इसमें 7 साल से ज्यादा की सजा है. ऐसे मामले में या तो आरोपी पहले से जमानत पर हो या हाई कोर्ट का कोई आदेश हो, स्टे हो उस मामले में तभी आरोप पत्र दाखिल किया जाता है.

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