
उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या से जुड़े कई बयान सामने आ रहे हैं. फिलहाल मामला बरेली का है. यहां के दरगाह आला हजरत की ओर से फतवा जारी हुआ है. इसमें कहा गया है कि जो शख्स किसी की कत्ल करे वह शरीयत की रोशनी में मुजरिम और कानून को हाथ में लेने वाला गुनहगार है. दरगाह आला हजरत शरीफ के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या पर बरेलवी उलमा ने कड़ा रुख अख्तियार किया है.
आज संजीव उलेमा ए इस्लाम में बैठक के दौरान फतवा भी जारी किया गया जिसमें आला हजरत दरगाह की ओर से पत्र में कहा गया है कि जो शख्स किसी को खत्म करे वह शरीयत की रोशनी में मुजरिम और सजा का मुसद्दीक कानून को हाथ में लेने वाला गुनहगार है. फतवा में कहा गया कि कुरान शरीफ में फरमाया गया है कि अपने हाथों अपने आप को हलाकत में मत डालो.
फतवा में क्या है
फतवा में कहा गया, राजस्थान के उदयपुर में 2 लोगों ने मजहब ए इस्लाम के नाम पर कत्ल किया. उलमा ने फतवा में कहा है कि इस तरह से करना और सजा देने का काम अपने हाथ में लेना शरियत की रोशनी में गलत है, नाजायज है और खुद आला हजरत की किताब में गलत है. आला हजरत ने अपनी किताब में आज से 106 साल पहले लिखा है कि सजा देने का काम हुकूमत का है. अगर आपको तकलीफ है तो हुकूमत के पास जाइए, शिकायत करिए. सजा हुकूमत देगी और इस्लामी हुकूमत हिंदुस्तान में नहीं है, हिंदुस्तान जम्बूरी मूल्क है.
मजहब के नाम पर सर कलम करने की धमकी गलत
इसमें कहा गया कि अगर हिंदुस्तान में इस्लामिक हुकूमत होती तो इस बात की इजाजत नहीं दी जाती कि कोई किसी का कत्ल करे मजहब के नाम पर और किसी को सर कलम करने की धमकी दे. खुदा से रोशनी में धमकी देना कदर करना यह दोनों शरीयत है. इस्लामिया की रोशनी में नाजायज है.
कुरान शरीफ में फरमाया गया है कि अच्छा मुसलमान वह है जो हाथ से जुबान से किसी को तकलीफ ना पहुंचाए. इसलिए फतवे में उलेमा ने यह कहा है किसी को यह तकलीफ ना पहुंचाई जाए. किसी को तंग न किया जाए. किसी को सर कलम करने की धमकी ना दी जाए. ऐसा करना शरीयत की जुल्म है. अदालत में वह शख्स मुजरिम है.
पाकिस्तान का जिक्र
फतवे के मुताबिक, पाकिस्तान में कुछ वर्ष पहले एक संगठन बनाया गया. वहां के लोगों ने अपने इतिहान मे सर तन से जुदा सर तन से जुदा गुस्ताख ए हदीफ की गुस्ताख की सजा, यह नारा लगाया. यह नारा पाकिस्तान से होता हुआ सोशल मीडिया के जरिए हिंदुस्तान में आया और हिंदुस्तान में भी कुछ लोगों ने यह नारा लगाना शुरू किया. आला हजरत की किताब की रोशनी में लिखा है कि यह नारा लगाना हिंदुस्तान में जायज नहीं है. क्योंकि कानून हाथ में लेने की इजाजत शरीयत नहीं देती है. चाहे इस्लामी हुकूमत हो या गैर इस्लामी हुकूमत हो.