
देशभर में पैगम्बर-ए-इस्लाम का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस मौके पर जगह-जगह कव्वालियां और जलसे आयोजित किए जाते हैं. इसी क्रम में बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुदुद्दीन रजवी (Maulana Shahabuddin Razvi) ने 9 अक्टूबर को निकाले जाने वाले जुलूस-ए-मुहम्मदी में डीजे न लाने और गाने न बजाने की हिदायत दी है.
मौलाना ने फरमान जारी करते हुए कहा कि इस तरह के काम करने से जुलूस की धार्मिक गरिमा को नुकसान होता है. सवाब के बजाय गुनाह मिलता है, इसलिए जुलूस में कोई भी ऐसा कार्य न किया जाए जो पैगम्बर-ए-इस्लाम की शिक्षा के अनुसार नहीं है.
साथ ही कहा कि पाकिस्तान से प्रमोट हो कर भारत में आया नारा "सर तन से जुदा" मुस्लिम नौजवान जुलूस-ए-मोहम्मदी में न लगाएं. इस नारे की जगह हमारे बुजुर्गों द्वारा दिया गया नारा "प्यारे नबी की है ये शान, बच्चा बच्चा है कुर्बान" लगाएं. ये हिंदुस्तानी नारा है और इस नारे में नबी के साथ बेपनाह मोहब्बत का इजहार होता है.
मौलाना ने आगे कहा, 'सर तन से जुदा' वाला नारा गैर अखलाकी, गैर कानूनी, और गैर शरई है. आला हजरत ने अपने फतवे में लिखा है कि कानून को अपने हाथ में लेना जायज नहीं है और सजा देने का अधिकार हुकूमत का है, किसी व्यक्ति को ये अधिकार नहीं दिया जाता की वो खुद सजा मुकर्रर करे और खुद ही सजा दे. चाहे इस्लामी देश हो या लोकतांत्रिक देश हो.
मौलाना ने कहा कि जुलूस-ए-मोहम्मदी को पाकीजगी और पैगंबर-ए-इस्लाम को सीरत की रोशनी में निकाला जाना चाहिए. पैगम्बर-ए-इस्लाम का जन्मदिन पर डीजे, गाना बजाना और नाचना, ये सब नाजायज कार्य हैं.