Advertisement

कोरोना: 30% लोगों में खत्म हो चुकी हाइब्रिड इम्यूनिटी, जल्द 70% तक पहुंच जाएगा यह आंकड़ा : BHU

BHU के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना महामारी पर शुरुआत से अबतक वे दो साल से अध्ययन कर रहे हैं. तीसरी वेव में ओमीक्रॉन की वजह से रिइंफेक्शन बढ़ गया, लेकिन 15% के ऊपर नहीं गया यानी जो कोरोना को मात दे चुके हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है.

बीएचयू के जीन वैज्ञानिक ने किया सीरो सर्व बीएचयू के जीन वैज्ञानिक ने किया सीरो सर्व
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 22 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST
  • BHU के जीन वैज्ञानिक ने सीरो सर्वे में किया दावा
  • घातक नहीं होगी कोरोना संक्रमण की चौथी लहर

कोरोना के खिलाफ जंग में चौथी लहर एक बार फिर से पांव पसार रही है. ऐसे में BHU के जीन वैज्ञानिक के सीरो सर्वे के आधार पर जो रिपोर्ट तैयार की है वह अच्छी और बुरी दोनों है. बुरी इसलिए क्योंकि सीरो सर्वे में पता चला है कि 30% लोगों में हाइब्रिड इम्यूनिटी खत्म हो चुकी है जो आगे चलकर 70% तक खत्म हो जाएगी. वहीं अच्छी खबर यह है कि कोरोना की यह चौथी लहर घातक या मारक नहीं होगी. चौथी वेव तीसरी से काफी हल्की होगी, लेकिन कोई देशव्यापी वेव की आशंका अब नहीं दिख रही है.

Advertisement

जहां लो लेवल की एंटीबॉडी वह सतर्कता जरूरी

जीन वैज्ञानिक ने चौथी लहर के खतरनाक होने के बारे में बताया कि कुछ ही रीजन में इसका प्रभाव दिख रहा है. वहां एक लेवल तक जाने के बाद घटने लगेगा तो फिर दूसरे रीजन में यह फैलेगा. ऐसा हो सकता है कि जहां-जहां लो लेवल की एंटीबॉडी है, वहां कोरोना अटैक करे, लेकिन फिर सचेत रहना होगा खासकर बीमार ग्रस्त लोगों को.

वाराणसी में 116 लोगों पर किया सीरो सर्वे

BHU के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना महामारी पर शुरुआत से अबतक दो साल से अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि तीसरी लहर के खत्म होने के बाद गुरुवार को फिर एक सर्वे किया गया, जिसमें वाराणसी के 116 लोगों में एंटीबॉडी के लेवल के वैरिएशन का अध्ययन किया. इसमें पाया गया कि 30% लोगों में एंटीबॉडी एकदम से खत्म पाई गई. जो आने वाले दिनों में जब 70% लोगों में खत्म हो जाएगी तो ऐसे में आने वाले दिनों में नई वेब की आशंका बढ़ जाएगी.

Advertisement

Delhi School Guidelines: स्कूलों में लंच नहीं बांट सकेंगे बच्‍चे, कोरोना पर दिल्ली में जारी हुईं नई गाइडलाइंस

वेव के लिए ये वजहें होती हैं जिम्मेदार

प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि दो वजहें नई वेव का कारण बनती हैं. पहला हाई लेवल की एंटीबॉडी जिसे हाइब्रिड इम्यूनिटी कहते हैं, वह कितने लोगों में मौजूद है और वायरस कितना हमारी एंटीबॉडी पर प्रभाव डाल सकता है.

'जो अभी तक पॉजिटिव नहीं हुए वे रखें ध्यान'

प्रो. ज्ञानेश्वर ने बताया कि पहली वेव के खत्म होने पर इंफेक्शन किसी में नहीं था. कुछ लोग संक्रमित हुए भी तो रिइंफेक्शन सिर्फ 5% लोगों को ही हुआ. तीसरी वेव में ओमीक्रॉन की वजह से रिइंफेक्शन बढ़ गया, लेकिन 15% के ऊपर नहीं गया. इसका मतलब है कि जो लोग इंफेक्शन के शिकार होकर ठीक हो चुके हैं, उनको डरने की जरूरत नहीं है. जो कभी संक्रमित नहीं हुए है और वैक्सिनेटेड हैं, उनको बचाव करना होगा साथ ही पहले से बीमार लोगों को कोरोना से बचाव के उपाय करने होंगे.

Corona: एक्सपर्ट्स से जानिए किन तीन गलतियों से दिल्ली में Omicron वैरिएंट होता जा रहा है खतरनाक 

फ्रंट लाइन वर्कर के लिए तीसरी डोज जरूरी

प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने आगे बताया कि फ्रंट लाइन वर्कर को वैक्सीन की तीसरी डोज लेनी चाहिए, क्योंकि उनको इंफेक्शन होने पर काफी खतरा होता है. हालांकि पूरी आबादी को वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने की जरूरत नहीं है. 

Advertisement

ऐसे होता है सीरो सर्वे

सीरो सर्वे के तहत देखा जाता है कि आबादी के कितने हिस्से में एंटीबॉडी उपलब्ध है. हर लहर में लगातार एंटीबॉडी टेस्ट कर रहे हैं और इसी के आधार पर संक्रमण को लेकर आगे का अनुमान लगाया जाता है. 

क्या होती है हाइब्रिड इम्यूनिटी

हाइब्रिड इम्यूनिटी किसी भी वायरस के किसी भी वैरिएंट को रोकने में सक्षम होती है, यह घट रही है. पर्याप्त मात्रा में भले ही एंटीबॉडी हमारे पास अभी हो, लेकिन एक समय बाद हाइब्रिड इम्यूनिटी एकदम से कम हो जाएगी इसलिए आने वाली वेव के लिए हमें तैयार रहना होगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement