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मिशन 2024: प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के बूते यूपी में नई सियासत की कोशिश, जानें मायने

बीजेपी को लगता है कि भूपेंद्र चौधरी के बहाने वह रूहेलखंड से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सियासी तौर पर साध सकेगी. मुरादाबाद के रहने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी ऐसे इलाके से आते हैं जहां बीजेपी सबसे कमजोर मानी जाती है. यानी कि सबसे मजबूत दौर में भी मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर जैसे जिले बीजेपी के लिए हमेशा से चुनौती वाले इलाके में रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह चौधरी योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री हैं. (फाइल फोटो) भूपेंद्र सिंह चौधरी योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री हैं. (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 25 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

भूपेंद्र सिंह चौधरी बीजेपी के उत्तर प्रदेश के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं. पिछले 24 घंटे में ही ये नाम अचानक से उभरा और आलाकमान ने उनके नाम की चिट्ठी जारी कर दी. जबकि पिछले कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी जाएगी और उन्होंने ट्वीट कर एक संकेत भी दिया था कि 'संगठन सरकार से बड़ा होता है', लेकिन पिछले कुछ दिनों में काफी कुछ बदला और बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन का चेहरा रहे भूपेंद्र सिंह चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.

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नजरें 2024 के पार्लियामेंट चुनाव पर हैं. चुनौती जाट वोटों को साधने की है. क्योंकि विधानसभा के चुनाव में जाट सबसे ज्यादा नाराज होकर उभरा था. हालांकि बीजेपी ने पश्चिम में अच्छा प्रदर्शन किया था. इसके बावजूद जाटों की नाराजगी बीजेपी को झेलनी पड़ी थी और वह नाराजगी किसान आंदोलन, खासकर कृषि बिल से उभरी थी.

पश्चिमी यूपी से बीजेपी के दो अहम पद

बीजेपी को लगता है कि भूपेंद्र चौधरी के बहाने वह रूहेलखंड से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सियासी तौर पर साध सकेगी. मुरादाबाद के रहने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी ऐसे इलाके से आते हैं जहां बीजेपी सबसे कमजोर मानी जाती है. यानी कि सबसे मजबूत दौर में भी मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर जैसे जिले बीजेपी के लिए हमेशा से चुनौती वाले इलाके में रहे हैं. इस बार बीजेपी ने संगठन के दोनों अहम पद इन्हीं जिलों से आने वाले दो लोगों को दिए. 

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बिजनौर के धर्मपाल को संगठन मंत्री की जिम्मेदारी

धर्मपाल सिंह सैनी को संगठन मंत्री बनाया गया है. वे बिजनौर से आते हैं. जबकि भूपेंद्र सिंह चौधरी मुरादाबाद से हैं. बीजेपी को लगता है कि भूपेंद्र सिंह चौधरी के बहाने वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों के बीच अपने खोए जनाधार को दोबारा से वापस पा सकेगी.

बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है पश्चिमी यूपी

दरअसल, रालोद (RLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ होने की वजह से मुस्लिम वोट पहले से ही जयंत चौधरी के साथ है और अब भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों को जोड़ने की कवायद में जुटे हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए 2024 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरने वाला है.

विपक्ष के समीकरण ध्वस्त करने के लिए रणनीति

माना जा रहा है कि चुनौती को अंदाजा बीजेपी को भी है. यही वजह है कि पार्टी ने संगठन के अपने सबसे विश्वसनीय चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर लगाया है, ताकि जाट, यादव और दलित समीकरण को बनने के पहले ही जमींदोज किया जा सके.

नाराज जाटों को साधने के लिए भूपेंद्र पर दांव

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बताते चलें कि बीजेपी अध्यक्ष को लेकर चर्चा पहले ब्राह्मण परिवार की रही. फिर दलित चेहरे की रही और आखिर में ओबीसी से केशव प्रसाद मौर्य का नाम आया. आखिरी में बीजेपी ने जाटों की नाराजगी खत्म करने को प्राथमिकता दी और उनके बीच से ही एक जाट चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.

शाह और मौर्य की कोर टीम का हिस्सा रहे भूपेंद्र

भूपेंद्र सिंह चौधरी की खूबियां अगर समझें तो वे एक लो प्रोफाइल हैं और संगठन के ऐसे नेता हैं जो हमेशा पर्दे के पीछे रहकर काम करते रहे. जब अमित शाह उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे, तब चौधरी उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय मंत्री के तौर पर उनके सहयोगी थे. केशव प्रसाद मौर्य जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब भी उन्होंने क्षेत्रीय अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी संभाली. 

बीजेपी ने अनुभव का भी रखा ध्यान

चौधरी संगठन से काफी सालों से जुड़े हुए थे आरएसएस के अनुशासन में भी पले बढ़े हैं. दूसरे राज्यों में भी चुनाव प्रबंधन में पार्टी इनका इस्तेमाल करती रही है और सरकार में भी योगी सरकार के दोनों कैबिनेट में शामिल रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने अनुभव को और खासकर संगठन में इनके अनुभव को देखते हुए प्रदेश की कमान सौंपी है.

संगठन से लेकर सरकार तक में पहचान

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बताते चलें कि स्वतंत्र देव सिंह की तरह ही भूपेंद्र चौधरी भी कार्यकर्ताओं को उनके नाम से जानते हैं. उत्तर प्रदेश के हर जिले से वाकिफ हैं और कार्यकर्ताओं के बीच भी लोकप्रिय हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम करने में कठिनाई नहीं आने वाली. चौधरी संगठन से लेकर सरकार तक में अपनी पहचान रखते हैं.

विपक्षी दलों ने भी चौधरी की नियुक्ति पर दी प्रतिक्रिया

दूसरे दलों के नेताओं ने भी भूपेंद्र सिंह चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर प्रतिक्रिया दी है और सबसे चौंकाने वाली प्रतिक्रिया आरएलडी के तरफ से आई है. आरएलडी के मुख्य प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि जयंत चौधरी की लोकप्रियता से घबराकर बीजेपी ने एक जाट चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी जीत की मशीन बन चुकी है और उसका पूरा ध्यान सिर्फ जीतने पर लगा है. लोगों की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है.

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