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बाइक बोट घोटालाः सुप्रीम कोर्ट से कारोबारी दिनेश को मिली जमानत, विदेश जाने पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी कारोबारी दिनेश पांडेय को निर्देश देते हुए कहा कि वह पुलिस अधिकारी की पूछताछ में सहयोग करेंगे और बिना कोर्ट की इजाजत के वह देश छोड़कर नहीं जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट (PTI) सुप्रीम कोर्ट (PTI)
aajtak.in
  • नोएडा ,
  • 03 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST
  • करीब 3500 करोड़ रुपये के बाइक बोट घोटाले में कई नाम
  • दिनेश पांडेय को 10 करोड़ रुपये के निजी मुचलके पर बेल
  • SC ने दिया पुलिस की पूछताछ में सहयोग करने का निर्देश

नोएडा के 3500 करोड़ रुपये के चर्चित बाइक बोट घोटाले में गिरफ्तार कारोबारी दिनेश पांडेय की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कारोबारी दिनेश पांडेय को 10 करोड़ रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दिया. 

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी कारोबारी दिनेश पांडेय को निर्देश देते हुए कहा कि वह पुलिस अधिकारी की पूछताछ में सहयोग करेंगे और बिना कोर्ट की इजाजत के वह देश छोड़कर नहीं जाएंगे.

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साल 2017 में बाइक बोट का प्रकरण शुरू हुआ तो दिनेश पांडेय और संजय भाटी तथा बिजेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मिलकर अलग-अलग कंपनियों व संपत्तियों में पैसा निवेश किया.

गर्वित इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड (बाइक बोट कंपनी)  और इंडिपेंडेंट टीवी से उसकी कंपनी में लगभग 150 करोड़ रुपये आए थे. उन पैसों का जब हिसाब पूछा गया तो लगभग 60 करोड़ रुपये ही गर्वित और इंडिपेंडेंट टीवी को वापस करने हैं तथा शेष बची धनराशि को दिनेश पांडेय ने जमीन जायदाद खरीदने और यूनिवर्सिटी व ट्रस्ट बनाने में निवेश किया है.

क्लिक करें- नोएडाः 3500 करोड़ रुपये के बाइक बोट घोटाले में ग्रैंड वेनिस मॉल का मालिक गिरफ्तार

गर्वित इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड (बाइक बोट कंपनी) नाम से फर्जी कंपनी बनाकर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले मुख्य अभियुक्त संजय भाटी और उसके अन्य साथियों के खिलाफ जून में थाना दादरी में एफआईआर दर्ज की गई थी. गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की. घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी को भी गैंगस्टर के तहत आरोपी बनाया गया.

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साल 2010 में संजय भाटी ने कंपनी की शुरुआत की और 2018 में एक बाइक बोट स्कीम लॉन्च की थी. स्कीम के तहत बाइक टैक्सी शुरू की गई. इसके तहत एक व्यक्ति से एक मुश्त 62200 रुपये का निवेश कराया गया. उसके एवज में एक साल तक 9765 रुपये देने का वादा किया गया था. 

 

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