
नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में एक बार फिर लाजवाब प्रदर्शन किया है. मोदी और शाह की जोड़ी ने यूपी में जोरदार जीत हासिल करने के लिए लंबे समय से प्रयास शुरू किया था जिसका फायदा पार्टी को मिला भी. हालांकि 2014 की तुलना में बीजेपी गठबंधन को इस बार थोड़ी कम सीट जरूर मिली लेकिन वोट शेयर में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.
भारतीय जनता पार्टी को इस बार चुनाव में उत्तर प्रदेश में 62 सीटें मिलीं जबकि उसके सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी अगुवाई वाली एनडीए को इस बार कुल 64 सीटें मिली जबकि 2014 के चुनाव में एनडीए ने 73 सीट हासिल की जिसमें बीजेपी ने अकेले 71 सीट जीती थी.
सीट के आधार पर देखा जाए तो एनडीए और बीजेपी दोनों को ही यूपी में 9 सीटों को नुकसान हुआ है. खुद बीजेपी 71 सीट से 62 सीट पर ठिठक गई. हालांकि बीजेपी के वोट शेयर में इजाफा हुआ है.2019 का वोट शेयर
2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिले वोट शेयर का हिसाब देखा जाए तो बीजेपी को लगभग आधा यानी 49.6 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को यूपी में 19.3 फीसदी वोट मिले. तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी (सपा) रही जिसे 18 फीसदी वोट हासिल हुए. सपा ने यूपी में बसपा और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया था जिसका चुनाव में कोई खास प्रभाव नहीं दिखा.दूसरी ओर, बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के इरादे से जमकर प्रचार करने वाली कांग्रेस इस बार भी कुछ खास नहीं कर सकी और उसे महज एक सीट हासिल हुई. वहीं उसे 6.31 फीसदी वोट मिले.
2014 का वोट शेयर
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी ने इस बार सीट कम जरूर हासिल की, लेकिन उसका वोट शेयर बढ़ गया. 2014 के चुनाव में बीजेपी को 42.30% वोट शेयर (3,43,18,576) मिला था, इस तरह से 5 साल बाद बीजेपी के खाते में 7.3 फीसदी ज्यादा वोट (49.6 फीसदी यानी 42,857,221) मिले. 2014 के चुनाव में बीजेपी को मिले वोट में करीब 25 फीसदी वोट का इजाफा हुआ था.
वोट शेयरिंग में बीजेपी ने सपा के किले में सेंध लगाई. सपा को 2014 में 22.20% वोट मिले थे जबकि इस बार उसे 17.96 फीसदी वोट मिले हैं. 5 साल पहले 0 पर सिमटने वाली बसपा इस बार 10 सीट जीत रही है, लेकिन उसके वोट शेयर में कोई अंतर नहीं आया. इस बार उसे 19.26 फीसदी वोट मिले हैं जबकि 2014 में 19.60 फीसदी वोट मिले थे.
इसी तरह कांग्रेस को इस बार 6.3 फीसदी वोट मिले, लेकिन 2014 में उसके खाते में 7.50 फीसदी वोट आए थे.
नोटा पर गंभीर नहीं
उत्तर प्रदेश में 2014 और 2019 को पड़े वोटों की तुलना की जाए तो नोटा को लेकर यूपी के मतादाता ज्यादा गंभीर नहीं हैं. इस बार पिछली बार की तुलना में नोटा पर वोट बढ़े हैं, लेकिन यह मामूली बढ़ोतरी है. महज 0.84 फीसदी (7,25,079) मतदाताओं ने इस बार नोटा के पक्ष में वोट किया, जबकि 2014 के चुनाव में 0.7 फीसदी (5,92,211) मतदाताओं ने वोट डाले थे.
बीजेपी की अगुवाई में एनडीए फिर से सत्ता पर काबिज होने जा रही है तो इसमें उत्तर प्रदेश की बड़ी जीत का अहम योगदान है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी का वोट शेयरिंग प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है और यह तब है जब केंद्र के साथ-साथ प्रदेश में भी बीजेपी की ही सत्ता है. 2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद और कई उपचुनावों में हार के बाद कहा जा रहा था कि इस बार चुनाव में बीजेपी को खासा संघर्ष करना पड़ सकता है, लेकिन पहले एग्जिट पोल सर्वे और अब चुनाव परिणाम आने के बाद यह साफ हो गया है कि विपक्षी दलों को बीजेपी के रथ को रोकने और अपने वजूद को बचाने के लिए विशेष कार्य योजना बनानी होगी.