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इलाहाबाद में आज से BJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, PM समेत पार्टी के तमाम दिग्गज होंगे शामिल

संगम नगरी में सभा की सारी तैयारी हो चुकी है. तमाम मुद्दों समेत इसमें आने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा होगी.

बीजेपी में सीएम पद के प्रत्याशी को लेकर माथापच्ची बीजेपी में सीएम पद के प्रत्याशी को लेकर माथापच्ची
स्‍वपनल सोनल/रीमा पाराशर/हिमांशु मिश्रा
  • इलाहाबाद ,
  • 12 जून 2016,
  • अपडेटेड 8:34 AM IST

यूपी में चुनावी दंगल की तैयारी के लिए रविवार से इलाहाबाद में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक शुरू हो रही है. माना जा रहा है कि इस दो दिवसीय बैठक में प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर चर्चा होगी. प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी दो दिन वहीं रहने वाले हैं.

संगम नगरी में सभा की सारी तैयारी हो चुकी है. तमाम मुद्दों समेत इसमें आने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा होगी. बीजेपी पंजाब, गोवा और उत्तराखंड चुनावों पर भी माथापच्ची करेगी, लेकिन सूत्र बताते हैं कि एजेंडे में टॉप पर यूपी चुनावों के लिए रणनीति तैयार करना है. प्रधानमंत्री दो दिनों तक दिल्ली छ़ोड़कर इलाहाबाद में रहेंगे, लिहाजा उनका दफ्तर यानी पीएमओ भी वहीं से चलेगा.

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पीएम के लिए बना खास कार्यालय
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री के साथ ही पीएमओ के तमाम अधि‍कारी भी इलाहाबाद पहुंच रहे हैं. उनके लिए खास कार्यालय बनाया गया है, जहां बकायदा कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा है. अधिकारी अगले दो दिनों तक कार्यालय संबंधी सभी काम यहीं से निपटाएंगे. इस 'पीएमओ' को योग दिवस के लिए बने खास बैकड्रॉप से सजाया गया है. पोस्टर में सूर्य नमस्कार की मुद्राएं दर्शाई गई हैं. इसके निकट ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का दफ्तर भी बनाया गया है.

14 साल के वनवास को दूर करने का मौका
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि पार्टी के लिए यूपी चुनाव काफी अहम है. लोकसभा चुनाव में पार्टी को यूपी की 80 सीटों में से 73 पर जीत मिली थी. लिहाजा, विधानसभा चुनाव को लेकर भी हौंसले बुलंद हैं और पार्टी को लग रहा है कि 14 साल के वनवास को दूर करने का यह सही मौका है.

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इनमें से कोई होगा सीएम पद का उम्मीदवार
यूपी में बीजेपी को सबसे अधि‍क माथापच्ची मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर करनी पड़ेगी. यही पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती है. हालांकि, राज्य में ढेरों स्वयंभू उम्मीदवार सामने आ गए हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिन नामों पर विचार होगा उनमें केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी, केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केपी मौर्या प्रमुख हैं.

चुनावी गणि‍त, कौन किसपर है भारी
राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ऐसे में पार्टी उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाकर अगड़ी जाति के वोटबैंक में सेंध लगने की कोशिश को नाकाम कर सकती है. स्मृति इरानी अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़कर खुद को सूबे की सियासत का एक जाना-पहचाना चेहरा बना चुकी हैं. महेश शर्मा ब्राह्मण चेहरा हैं और उन्हें संघ का समर्थन हासिल है. जबकि केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष हैं और गैर यादव दलित वोटरों को रिझाने के पार्टी इनके नाम पर दांव खेल सकती है.

वरुण से नाराज है पार्टी!
इस बीच वरुण गांधी के नाम की भी चर्चा भी जोरशोर से है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि पार्टी कई वजहों से इनसे नाराज है. सूत्रों बताते हैं कि बीजेपी अभी यूपी के सीएम पद के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा तो जरूर करेगी, लेकिन ऐलान शायद अभी ना हो. हालांकि इतना तय है कि किसी भी चेहरे पर फाइनल मुहर के लिए जाति समीकरण का हिसाब किताब जरूर होगा.

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यह है वोटों का गणि‍त
यूपी में मुस्लिम और यादव वोट करीब 35 फीसदी हैं. दलित वोट 30 फीसदी. करीब 24 फीसदी अगड़ी जाति के वोटर हैं. इस बार बीजेपी शायद यादवों के अलावा दूसरी ओबीसी जातियों को लुभाने की रणनीति भी अपना सकती है. शायद इसी के तहत केशव प्रसाद मौर्या को सूबे में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है.

ये होंगे चुनावी मुद्दे
सीएम पद के उम्मीदवार के नामों के अलावा बीजेपी इलाहाबाद में उन मुद्दों पर भी चर्चा करेगी, जिन्हें यूपी चुनाव में विरोधियों के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना है. इनमें अहम होंगे भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था और परिवारवाद.

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