Advertisement

नोटबंदी से फोकस हटाने के लिए बीजेपी ने यूपी में बदली रणनीति

उत्तर प्रदेश में बीजेपी बीते 14 साल से सत्ता से बाहर है. इस वक्त राज्य में पार्टी लंबे अर्से बाद सबसे बेहतर स्थति में चुनाव लड़ रही है. यूपी से सबसे ज्यादा लोकसभा सांसद बीजेपी के पास हैं. साथ ही बैठे-बिठाए विपक्ष के बिखराव ने भी पार्टी की जमीन काफी हद तक साफ की है. इस सबके मद्देनजर पार्टी ने अपने प्रचार का नया खाका तैयार किया है.

यूपी में बीजेपी की रणनीति यूपी में बीजेपी की रणनीति
रीमा पाराशर/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 7:58 AM IST

2017 देश की राजनीति के लिए बहुत अहम है. इसी साल आबादी के लिहाज से सबसे बड़े उत्तर प्रदेश समेत 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव होने हैं. वहीं साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होंगे. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर बीजेपी बहुत दारोमदार मान रही है. जाहिर है इस चुनाव के जो भी नतीजे आएंगे, उनकी गूंज गुजरात के चुनाव में भी सुनाई देगी जो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख से जुड़ा है.

Advertisement

उत्तर प्रदेश में बीजेपी बीते 14 साल से सत्ता से बाहर है. इस वक्त राज्य में पार्टी लंबे अर्से बाद सबसे बेहतर स्थति में चुनाव लड़ रही है. यूपी से सबसे ज्यादा लोकसभा सांसद बीजेपी के पास हैं. साथ ही बैठे-बिठाए विपक्ष के बिखराव ने भी पार्टी की जमीन काफी हद तक साफ की है. इस सबके मद्देनजर पार्टी ने अपने प्रचार का नया खाका तैयार किया है. दिलचस्प ये है कि 50 दिन तक नोटबंदी के जनता पर हुए असर को भांपने के बाद अब बीजेपी की रणनीति नोटबंदी से हटकर राज्य में स्थानीय मुद्दों पर जोर देने की है.

पोस्टर-होर्डिंग में नोटबंदी नहीं स्थानीय मुद्दों पर फोकस
अब पूरे उत्तर प्रदेश में जगह-जगह बीजेपी के ऐसे पोस्टर दिखाई देंगे, जिनमें सीधे तौर पर प्रतिद्वंद्वी दलों की खामियों को निशाना बनाया गया है. इन पोस्टर में किसानों की दुर्दशा, कानून व्यवस्था की खराब स्थिति, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा और पलायन जैसे मुद्दों को जगह दी जाएगी. बीजेपी इन सभी समस्याओं से निजात दिलाकर परिवर्तन का वादा कर रही है.

Advertisement

बिना चेहरे के सिर्फ मुद्दों से होगा हमला
पार्टी की तरफ से ये संकेत साफ है कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का कोई चेहरा सामने नहीं लाया जाएगा. सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को आगे रखकर पार्टी चुनावी रण में उतरेगी. चुनाव से ऐन पहले पार्टी के प्रचार की नई रणनीति नेताओं का चेहरा दिखाने की जगह सिर्फ मुद्दों के आधार पर विरोधियों पर वार करने की रहेगी.

'किसान महा अभियान' जोड़ेगा किसानों से
नोटबंदी के बाद विपक्ष ने किसानों का हवाला देकर बीजेपी पर हमले तेज किए हैं, जिससे निपटने के लिए पार्टी ने किसानों से सीधे संवाद का कार्यक्रम बनाया है. दो चरणों में पार्टी के नेता किसानों से मिलेंगे. पहले चरण में बीजेपी लगभग 400 गांवों में 'अलाव सभाएं' करेगी. दूसरे चरण में जिला स्तर पर 'माटी तिलक प्रतिज्ञा' अभियान चलेगा. इन सभाओं में नेता किसानों को नोटबंदी के सकारात्मक प्रभाव बताएंगे. साथ ही केंद्र सरकार की किसानों के लिए बनी योजनाओं का ब्यौरा सामने रखेंगे. किसानों को बताया जाएगा कि किस तरह बीएसपी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उन्हें धोखा दिया और मोदी सरकार ने उन्हें फायदा पहुंचाया.

समय के साथ चलने के लिए डिजिटल होना जरूरी
राज्य में प्रधानमंत्री की लगभग हर रैली में डिजिटल पेमेंट का नारा बुलंद होगा. इसके लिए बाकायदा केंद्रीय मंत्री शहरों और जिलों में जाकर डिजिटल सिस्टम सिखाने के लिए चल रही ट्रेनिंग का हिस्सा बनेंगे. लोगों को ये बताने पर जोर होगा कि भविष्य में दुनिया के साथ कदमताल मिलाने के लिए नोटबंदी का कदम कितना जरूरी था.

Advertisement

पीएम के 31 दिसंबर के संदेश को घर-घर पहुंचाने पर जोर
प्रधानमंत्री के 31 दिसंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में किसानों, महिलाओं, छोटे व्यापारियों और बुजुर्गों के लिए की गई घोषणाएं पार्टी के प्रचार का अहम हिस्सा बनेंगी.

समाजवादी दंगल को देख रणनीति बदली
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के बीच मचे घमासान ने भी बीजेपी को अपनी चुनावी रणनीति बदलने के लिए मजबूर किया है. ऐसा कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के टूटने और मुलायम सिंह के कमजोर होने का फायदा मायावती को मिल सकता है. ऐसी स्थिति में अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण बीएसपी की ओर मुमिकन है. इस तरह की स्थिति को हकीकत में बदलने से रोकने के लिए बीजेपी काफी माथापच्ची कर रही है. बीजेपी की रणनीति में अब समाजवादी दंगल से ऊपर बीएसपी का भ्रष्टाचार है.

स्थानीय मुद्दों पर फोकस रखने की रणनीति के साथ बीजेपी ने कार्यकर्ताओं को भी यूपी का किला हर हाल में फतेह करने की हिदायत दी है. साम दाम दंड भेद एक करके उत्तर प्रदेश में जीत को बीजेपी अपनी आन का सवाल मान रही है. बीजेपी की पूरी कोशिश है कि ऐसी कोई चूक ना की जाए, जिससे बाजी उसके हाथ से निकल जाए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement