
उत्तर प्रदेश में बीजेपी 2024 में क्लीन स्वीप को लेकर सियासी तानाबाना बुन रही है. बीजेपी ने संगठन के साथ जमीनी स्तर पर भी माइक्रो प्लानिंग पर काम शुरू कर दिया है. सीएम योगी ने सोमवार को तीसरी बार अपने मंत्रियों के मंडल प्रभार में परिवर्तन करते हुए एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया. मंत्री तो मंडलों और जिलों का दौरे करेंगे ही, साथ ही अब मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम भी मोर्चा संभालेंगे. इस तरह योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों के जरिए यूपी में व्यवस्थाओं की समुचित समीक्षा करने और खुद जमीनी फीडबैक प्राप्त कर करने का प्लान तैयार किया है.
योगी सरकार 2.0 के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव 2022 के लोक कल्याण संकल्प पत्र के संकल्पों को पांच साल की बजाए दो वर्ष में यानी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करने का टारगेट रखा है. ऐसे में सभी विभागों से 100 दिन, छह माह, एक साल, दो वर्ष व पांच वर्ष की कार्ययोजना तैयार कराई गई. यह कार्ययोजना तय समय के साथ साकार होती चले, जिसके लिए योगी आदित्यनाथ ने अपने 18 कैबिनेट मंत्रियों को एक-एक मंडल का प्रभार सौंप रखा है.
18 कैबिनेट मंत्रियों को मंडलों का प्रभारी नियुक्त किया गया
योगी सरकार के 18 कैबिनेट मंत्रियों को 18 मंडलों का प्रभारी नियुक्त किया गया है. उनके साथ राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री लगाए गए. अब तक दो-दो मंडलों का दौरा मंत्री कर चुके हैं. ऐसे में तीसरी बार योगी कैबिनेट मंत्रियों के मंडलों के प्रभार भी बदल दिए गए हैं. इस तरह सरकार का प्रयास है कि लोकसभा चुनाव से पहले नवंबर, 2023 तक सभी कैबिनेट मंत्री प्रत्येक मंडल के प्रभारी का दायित्व निभा लें. मंडल के प्रभारी मंत्री अपने प्रभार वाले क्षेत्र में विकास कार्य योजनाओं की समीक्षा करने के साथ-साथ सामाजिक समीकरण को मजबूत करने के लिए किसी दलित या अतिपछड़े वर्ग से घर पर रुकते हैं और वहीं पर भोजन करते हैं.
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बार उत्तर प्रदेश के 75 जिलों को तीन हिस्सों में बांट दिया है. सूबे के 25 जिलों की निगरानी खुद सीएम योगी करेंगे तो 25-25 जिले का जिम्मा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के पास होगा ताकि योजनाओं को तेजी से धरातल पर उतारते हुए व्यवस्थाओं की पैनी निगरानी की जा सके. इसलिए सीएम और डिप्टी सीएम भी सभी जिलों का दौरा करेंगे.
माना जाता है कि इसके पीछे सरकार की मंशा यही है कि अलग-अलग जिलों में चल रहे विकास कार्यों की निगरानी बारीकी से की जा सके. सीएम और दोनों डिप्टी सीएम के बीच भी जिलों के प्रभार का बदलाव रोटेशन के साथ होगा. सरकार से लेकर बीजेपी संगठन तक यूपी में 2024 तक पूरी तरह सक्रिय रहना चाहते हैं, जिसके लिए सिर्फ कैबिनेट मंत्रियों का जिम्मा नहीं बल्कि स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री को भी जिम्मा सौंपा गया.
लोकसभा चुनाव-2024 की प्लानिंग धरातल पर उतारने की तैयारी
दरअसल, बीजेपी लोकसभा चुनाव-2024 की रणनीति का खाका पहले खींच चुकी थी, लेकिन अब उसे धारतल पर उतारने के लिए सरकार से लेकर संगठन तक को जिम्मा सौंप दिया गया. 'भाजपा में सबके लिए काम' का जो संदेश प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने दिया है, उसके मायने यह निकाले जा सकते हैं कि नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव होने हैं और नए कार्यकर्ताओं को मौका मिलेगा. चुनावी रूपरेखा को प्रदेश की नई टीम ही धरातल पर उतारेगी.
बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारी के मोड में पूरी तरह आ चुकी है. इस बार 80 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य और सारी 80 सीटें जीतने का हौसला साथ लेकर चल रही भाजपा क्षेत्र, जिला और मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं को पहले ही प्रशिक्षित कर चुकी है. उनके प्रशिक्षण वर्ग हो चुके थे और सबसे अंत में प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों और प्रदेश सरकार के मंत्रियों को प्रशिक्षित किया गया है. इसके बाद भी मंत्रियों के मंडल का प्रभार बदला गया है.
कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद से मुरादाबाद मंडल का प्रभार छीन लिया गया है. अब इनकी जगह कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह को मुरादाबाद मंडल के मंत्री समूह की जिम्मेदारी दी गई है तो जितिन प्रसाद को लखनऊ का प्रभार दिया गया. बस्ती का प्रभार स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल को जबकि देवीपाटन का दायित्व राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह को सौंपा गया है और साथ राज्यमंत्री भी लगाए गए हैं. ऐसे ही बाकी मंत्रियों के भी मंडल में बदलाव किया गया है.
सूबे में बीजेपी को मजबूत बनाए रखने, जनकल्याण की योजनाओं सरकार और संगठन के समन्वय से जरूरतमंदों तक पहुंचाने और विपक्ष को उसकी गलतियों पर घेरने पर फोकस रहा है. चित्रकूट के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य या संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना जैसे वरिष्ठ नेता को पार्टी का आधार बताया. वहीं, सुनील बंसल ने यह संदेश दिया कि संगठन में प्रत्येक कार्यकर्ता के लिए काम है. सबका महत्व है. ऐसे में पार्टी के उस वर्ग तक पहुंचने की रणनीति बनाई गई है, जहां पर बीजेपी अपनी मजबूत पकड़ नहीं बना सकी है.