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स्वतंत्र देव सिंह को ऐसे ही नहीं बना दिया प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी का ये है प्लान

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमान स्वतंत्र देव सिंह को ऐसे ही नहीं सौंप दी है बल्कि यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. बीजेपी ने पिछला विधानसभा चुनाव पिछड़ी जाति के केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में ही लड़ा था और बड़ी सफलता हासिल की थी. इसी तर्ज पर एक बार फिर दांव खेला है.

बीजेपी के यूपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (फाइल फोटो) बीजेपी के यूपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमान स्वतंत्र देव सिंह को ऐसे ही नहीं सौंप दी है बल्कि बीजेपी की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. स्वतंत्र देव के जरिए बीजेपी एक साथ कई राजनीतिक समीकरण साधना चाहती है. बीजेपी ने पिछला विधानसभा चुनाव पिछड़ी जाति के केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में लड़ा था और बड़ी सफलता हासिल की थी. यही वजह है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी समुदाय से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर फिर वही फार्मूला अपनाया है.

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बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 के बाद बीजेपी ने लक्ष्मीकांत वाजपेयी की जगह ओबीसी समुदाय से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड जीत के साथ सत्ता का वनवास खत्म किया था. इसी फॉर्मूले को बीजेपी ने एक बार फिर अपनाया है और सूबे में पार्टी की कमान महेंद्रनाथ पांडे से लेकर ओबीसी के कुर्मी समुदाय से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह को सौंपी है.

कुर्मी समुदाय की सियासत

उत्तर प्रदेश में यादव समुदाय के बाद कुर्मी दूसरी सबसे बड़ी ओबीसी आबादी है. सूबे की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटें और 8 से 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर कुर्मी समुदाय निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यूपी में कुर्मी जाति संत कबीर नगर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, इलाहाबाद, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, बस्ती और बाराबंकी, कानपुर, अकबरपुर, एटा, बरेली और लखीमपुर जिलों में ज्यादा आबादी है.

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बीजेपी में कुर्मी समाज के 8 सांसद-26 MLA

मौजूदा समय में यूपी में कुर्मी समाज के बीजेपी के छह सांसद और 26 विधायक हैं. केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री संतोष गंगवार इसी समुदाय से आते हैं. इसके अलावा यूपी में योगी सरकार में कुर्मी समुदाय के तीन मंत्री है. इसमें कैबिनेट मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, राज्य मंत्री स्वतंत्र देव सिंह (स्वतंत्र प्रभार) और राज्यमंत्री जय कुमार सिंह 'जैकी' हैं. कुर्मी समुदाय पहले भी बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ा रहा है. इसी का नतीजा था कि स्वतंत्र देव से पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान कुर्मी समुदाय के ओमप्रकाश सिंह और विनय कटियार भी संभाल चुके हैं.

अनुप्रिया की काट के लिए स्वतंत्र देव

स्वतंत्र देव सिंह की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी ऐसे समय हुई है, जब एनडीए में शामिल अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री न बनाए जाने से कुछ खफा मानी जा रही हैं. इतना ही नहीं सूबे में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी इसी समाज के हैं. ऐसे में बीजेपी ने सूबे में कुर्मी कार्ड खेलकर एक साथ कई समीकरण साधने की कोशिश की है.

स्वतंत्र देव सिंह जातीय समीकरण को मजबूत करने में बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी सहायक साबित हो चुके हैं. पूर्वांचल का मीरजापुर स्वतंत्र देव की जन्मभूमि है, लेकिन उनकी कर्मभूमि बुंदेलखंड रही है. इस ताजपोशी से बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के साथ ही प्रदेश के दो अंचलों को भी साधा है.

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स्वतंत्र को नेतृत्व सौंपकर बीजेपी ने कुर्मी समाज को मजबूती रखने के साथ-साथ ही करीब 55 फीसदी ओबीसी वर्ग की आबादी को भी अपना बनाने की पहल की है. दरअसल उत्तर प्रदेश में सत्ता की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में है, जो राजपूत (क्षत्रिय) समुदाय से आते हैं और बीजेपी संगठन की कमान महेंद्र नाथ पांडेय के पास थी. इस तरह सत्ता और संगठन दोनों सवर्ण समुदाय के पास होने से ओबीसी समुदाय के नाराज होने की आशंका थी. इसी के चलते बीजेपी ने अब संगठन की कमान स्वतंत्र देव सिंह को सौंपी है. प्रदेश अध्यक्ष बनते ही स्वतंत्र देव सिंह ने पत्रकारों से कहा कि संगठन और सरकार में बेहतर तालमेल स्थापित करने का हर संभव प्रयास करूंगा.

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