
2019 में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की कोशिशों के बीच उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ने बड़ा दांव खेला है. सोमवार को राजधानी लखनऊ में पार्टी नेताओं की बैठक हुई, जिसमें मायावती को प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लिया गया.
लखनऊ में कोऑर्डिनेटर और सीनियर कार्यकर्ताओं की मीटिंग में मायावती का नाम सिंगल पॉइंट एजेंडे के तहत रखा गया, जिसमें साफ-साफ कहा गया कि 2019 के आम चुनाव के बाद मायावती को देश का प्रधानमंत्री बनाना है. यह पहला ऐसा मौका है जब लखनऊ के सबसे बड़े ऑडिटोरियम इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हजारों की तादाद में कार्यकर्ता जुटे, लेकिन मंच पर मायावती नहीं थीं.
इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर वीर सिंह और जयप्रकाश सिंह ने मायावती को बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार कार्यकर्ताओं के सामने पेश किया. मंच से बोलने वाले तमाम नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी कैडर को सिर्फ एक लक्ष्य के लिए काम करना है और वह बहन जी को 2019 में प्रधानमंत्री बनाना. यानी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतनी हैं, जिससे मायावती की पीएम बनने की राह बन सके.
कार्यक्रम की शुरूआत बकायदा दोनों नेशनल कोऑर्डिनेटर को मुकुट पहनाकर की गई. मंच से बोलते हुए हाल ही में एमएलसी बनाए गए भीमराव अंबेडकर ने 1993 के गठबंधन की याद दिलाई और 2019 में एक बार फिर वैसे ही गठबंधन को दोहराने की बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि बहन मायावती को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाना है.
पूरे प्रदेश में होंगे कार्यक्रम
लखनऊ सम्मेलन के बाद मंगलवार को आजमगढ़ में यह जोनल कार्यक्रम किया जाएगा. इस तरह पूरे प्रदेश में 4 अगस्त तक कार्यकर्ताओं के बीच यह कार्यक्रम चलेंगे, जिसमें नेशनल कोऑर्डिनेटर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच मायावती को 2019 में प्रधानमंत्री बनाने के एजेंडे को सामने रखेंगे.
गौरतलब है कि अखिलेश यादव पहले ही मायावती को प्रधानमंत्री बनाने की बात कर चुके हैं. हालांकि बाद में उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली लेकिन अखिलेश के सबसे विश्वस्त नेता राम गोविंद चौधरी ने बीएसपी सुप्रीमो को अखिलेश यादव के रुख से अवगत करा दिया था.
मायावती और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है और 80 सीटों पर गठबंधन बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद के बाद मायावती की उड़ान को पंख लग गए हैं. हालांकि बीजेपी के मुस्लिम चेहरे मोहसीन रजा कहते हैं कि हर पार्टी को अपना प्रधानमंत्री घोषित करने का हक है लेकिन मायावती का खुद को प्रधानमंत्री के तौर पर पेश करना हास्यास्पद है क्योंकि मायावती और प्रधानमंत्री मोदी की तुलना ही नहीं की जा सकती.
बहरहाल मायावती ने खुद को मीटिंग से इसलिए अलग रखा है ताकि पूरे प्रदेश में होने वाली ऐसे सम्मेलनों में उनके नाम को आगे किए जाने के बाद पार्टी कैडर के उत्साह को वह भाप सकें. साथ ही कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भरा जा सके क्योंकि जीत के लिए सबसे जरूरी यही है.
यह पहला मौका है जब मायावती को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर औपचारिक तौर पर पार्टी आगे कर रही है. अब देखना यह है कि दूसरे दल जो कि बीजेपी के विरोध में हैं और महागठबंधन की बात कर रहे हैं वह मायावती के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के नाम पर किस तरीके से अपनी प्रतिक्रिया देते हैं.