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9 साल बाद उपचुनाव में बसपा की अग्निपरीक्षा, मायावती आज से बनाएंगी रणनीति

बसपा सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को देखते हुए मंगलवार से मंडलवार जिला स्तर पर बैठकों की शुरुआत करने जा रही हैं. सूबे में 13 विधानसभा सीटें रिक्त हुई हैं, जिन पर उपचुनाव होने हैं.

बसपा अध्यक्ष मायावती (फोटो-PTI) बसपा अध्यक्ष मायावती (फोटो-PTI)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 02 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:50 AM IST

बसपा प्रमुख मायावती उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को देखते हुए मंगलवार से मंडलवार जिला स्तर पर बैठकों की शुरुआत करने जा रही हैं. सपा से गठबंधन तोड़ने के बाद बसपा उपचुनाव में अकेले उतरेगी. मायावती इसकी तैयारी और रणनीति को लेकर बैठक करेंगी. माना जा रहा है कि इस बैठक में प्रत्याशी के चयन पर भी मंथन होगा.

बसपा अध्यक्ष मंगलवार को उत्तर प्रदेश के चार मंडलों के जिला संगठनों की बैठक करेंगी. इसमें बरेली, चित्रकूट, कानपुर और झांसी मंडल के जिले शामिल हैं. जबकि 6 जुलाई को लखनऊ मंडल की बैठक करेंगी.

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बता दें कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान 11 विधायक सांसद बन गए. इनमें गोविंदनगर, लखनऊ कैंट, टुंडला, जैदपुर, मानिकपुर, बलहा, गंगोह, इगलास, प्रतापगढ़, रामपुर और जलालपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं.

इसके अलावा मीरापुर से विधायक अवतार सिंह भड़ाना बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और हमीरपुर से बीजेपी विधायक अशोक चंदेल को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता खत्म हो गई है, जिसके चलते इन दोनों सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं. इस तरह से सूबे में कुल 13 सीटें रिक्त हुई हैं, जिन पर उपचुनाव होंगे.

बसपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है. ऐसे में जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं, उन इलाकों में पार्टी में नई जान फूंकने और काबिल विधानसभा उम्मीदवारों की तलाश करने को लेकर मंथन करेंगी.

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बसपा 2010 के बाद पहली बार किसी उपचुनाव में किस्मत आजमाने के लिए उतर रही है. बीएसपी ने अपना आखिरी उपचुनाव 2010 में लड़ा था. उस समय मायावती उत्तर प्रदेश की सत्ता में थी, लेकिन 2012 में सूबे की सरकार चली जाने के बाद उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था.

2019 का लोकसभा चुनाव बसपा और सपा ने साथ मिलकर लड़ा था. इस चुनाव में बीएसपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि सपा को 5 सीटों पर जीत मिली थी. चुनाव नतीजों के बाद बसपा ने सपा से रिश्ते खत्म कर लिए थे. मायावती ने आरोप लगाया था कि यूपी के यादव वोटों का ट्रांसफर उनकी पार्टी को नहीं हो पाया था. मायावती ने कहा था कि अब बसपा अपने दम पर दलित मूवमेंट को उत्तर प्रदेश में खड़ा करेगी.

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