
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों कृषि कानूनों को लेकर अपने कदम वापस खींच लिए थे. सरकार के इस फैसले के बाद अब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भी वापस लेने की मांग जोर पकड़ने लगी है. अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी सीएए (CAA) को वापस लेने की मांग की है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का दो दिन का अधिवेशन उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयोजित हुआ जिसमें सीएए को वापस लेने की मांग समेत 11 प्रस्ताव पारित किए गए.
बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियासी ने कहा कि हमारी ये मांग है कि सीएए का कानून भी वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि बोर्ड के दो दिवसीय अधिवेशन में पारित 11 प्रस्ताव में कॉमन सिविल कोड का विरोध भी शामिल है. बोर्ड के अधिवेशन में पैगंबर साहब को लेकर पिछले कुछ साल में हुई टिप्पणियों पर नाराजगी जताते हुए किसी भी धर्म का अपमान न हो, इसके लिए कानून बनाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया. कॉमन सिविल कोड को लेकर चल रही प्रक्रिया को लेकर भी प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें सभी धर्म के लिए संवैधानिक अधिकार का जिक्र करते हुए इसे न मानने की बात कही गई है.
वक्फ संपत्ति पर भी चर्चा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार और अदालत की ओर से कुछ वक्फ समितियों को वक्फ की संपत्ति बेचने की अनुमति दिए जाने को भी गलत माना. बोर्ड के अधिवेशन में इसके साथ ही सरकार या अदालत में अपने धर्म ग्रंथ की व्याख्या करने को गलत माना गया और इसपर रोक लगाने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया. महिलाओं के साथ रेप जैसी घटनाओं की निंदा करते हुए बोर्ड ने सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की है.
बांग्लादेश और त्रिपुरा पर भी बात
बोर्ड के अधिवेशन में बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार का उल्लेख किया और इसी तरह त्रिपुरा जैसे राज्यों में मुस्लिमों के साथ हो रही हिंसक घटनाओं पर रोक लगाने को जरूरी बताया गया. बोर्ड ने मुसलमानों से शादी में फिजूलखर्ची और दहेज से बचने, शरीयत कानून के मुताबिक निकाह को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया है.
इस्लाम का अध्ययन करें स्कॉलर और वकील
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अधिवेशन में इस आशय का प्रस्ताव भी पारित किया गया कि मुस्लिम स्कॉलर और वकील इस्लाम का पूरी तरह अध्ययन करें और लोगों में व्याप्त भ्रांतियों को तर्कों से दूर करें. धर्म परिवर्तन को लेकर कहा गया कि मुस्लिमों ने देश में कभी भी जबरदस्ती, लालच या दबाव देकर किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया. इसीलिए देश में लंबे समय तक शासन करने के बावजूद मुस्लिम अभी भी अल्पसंख्यक हैं. किसी ने अभी तक इस तरह की शिकायत नहीं की है कि उसका किसी ने जबरन धर्म परिवर्तन कराया. धर्म का प्रचार करना संविधान के अनुसार मौलिक अधिकार है.
सोशल मीडिया पर फैलाई जा रहीं भ्रांतियां
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अधिवेशन में इस्लाम को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रांतियों पर लगाम लगाने की मांग की गई. सरकार से इस तरह के कार्य रोकने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया और कहा गया कि इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है. काशी और मथुरा की मस्जिद को लेकर कुछ संगठनों की ओर से अफवाह फैलाए जाने का उल्लेख करते हुए इसे रोकने की मांग का प्रस्ताव भी बोर्ड के अधिवेशन में पारित किया गया.