
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. चंदौली में एक शख्स कई वर्षों से घर से लापता था. उसके परिजन ने उसे मृत मानकर 16 साल पहले उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. वही शख्स तकरीबन 27 साल बाद जब अपने घर जिंदा लौट आया तो सब हैरान रह गए.
जानकारी के अनुसार, चंदौली के लडुआपुर गांव के रहने वाले रामकिशुन यादव तकरीबन 27 साल पहले घर से लापता हो गए थे. वे ओबरा में रहकर कैंटीन में नौकरी करते थे, जबकि उनका पूरा परिवार चंदौली के मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के लडुआपुर गांव में रहता था. रामकिशुन की 4 बेटियां हैं.
नौकरी करते-करते रामकिशुन ने सोचा कि क्यों न खुद का कैंटीन शुरू किया जाए. साल 1995 में रामकिशुन यादव देवी दर्शन के लिए मुंबई गए. सोचा था कि देवी दर्शन कर वापस आएंगे तो ओबरा में कैंटीन खोलेंगे, लेकिन रामकिशुन वापस नहीं लौटे. रामकिशुन जब नहीं लौटे और कुछ पता नहीं चला तो उनके घर में कोहराम मच गया. उनके बच्चे छोटे थे. पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों ने कई साल तक तलाश की.
घरवालों के मुताबिक, उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन पुलिस ने उस वक्त ओबरा में कंप्लेन दर्ज नहीं की. कई साल तक पत्नी और बच्चे इस इंतजार में थे कि रामकिशुन वापस आएंगे, लेकिन जब कुछ भी अता पता नहीं चला तो घरवालों ने उन्हें मृत मानकर 16 साल पहले अंतिम संस्कार कर दिया.
मुंबई में होटल ढाबों पर काम करते रहे, दी जाती थीं नशे की दवाइयां
रामकिशुन मुंबई में भटकते रहे और होटल व ढाबों पर नौकरी करते रहे. बकौल रामकिशुन जब भी वह घर आने की कोशिश करते थे तो ढाबा मालिक उन्हें पैसे नहीं देता था. रामकिशुन का आरोप है कि उनको नशे की दवाइयां दी जाती थीं, जिसकी वजह से वह घर आने के बारे में बहुत सोच भी नहीं पाते थे.
साल दर साल बीतते गए और रामकिशुन मुंबई में ढाबे पर काम करते हुए किसी तरह वाराणसी पहुंच गए. वाराणसी के बाबतपुर के पास किसी ढाबे पर काम करने लगे. इसी बीच रामकिशुन के पैर में लकवा मार गया.
ठीक नहीं रहती थी दिमागी हालत, बीमारी ने भी घेर लिया
रामकिशुन की दिमागी हालत भी ठीक नहीं रहती थी. वापस आने के बाद रामकिशुन ने अपने घरवालों को आपबीती बताई. रामकिशुन के अनुसार, बाबतपुर के ढाबा मालिक ने उनका इलाज कराया और थोड़ा बहुत वह ठीक हुए तो उनको घर की याद आई. ढाबा मालिक को भी लगा कि रामकिशुन को लकवा मारने के बाद काम करने में दिक्कत हो रही है तो उसने 3 दिन पहले रामकिशुन को उनके घर पहुंचा दिया.
गांव पहुंचे तो घरवालों की खुशी का नहीं रहा ठिकाना
रामकिशुन यादव के गांव पहुंचने की सूचना मिलते ही घरवाले और गांव वाले हैरान रह गए. घरवालों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा. जिस शख्स को वह मृत मानकर 16 साल पहले अंतिम संस्कार कर चुके थे, वह जीवित था. रामकिशुन यादव की घर वापसी के बाद घरवालों के साथ साथ गांव वाले भी खुश हैं.
राम किशुन ने टूटे-फूटे शब्दों में अपनी आपबीती सुनाई और बताया कि वह ओबरा में कैंटीन में काम करते थे. वहां से वह दर्शन करने के लिए मुंबई चले गए और उसके बाद दो-तीन लोगों ने उनको पकड़ लिया और एक ढाबे पर ले गए. वहां नौकरी करने लगे. उन्होंने बताया कि उनके पास पैसे नहीं थे कि वह घर वापस आ सकें. ढाबा मालिक पैसे नहीं देता था.
गांव के रहने वाले रामकिशुन यादव के पड़ोसी सिकंदर गिरी ने बताया कि रामकिशुन यादव के लापता होने के बाद कई साल तक घरवालों ने उनका इंतजार किया, लेकिन उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चला.