
धान का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के किसानों ने कमाल कर दिखाया है. यहां के किसानों का पैदा किया गया ब्लैक राइस अब विदेशों में भी धूम मचाने वाला है. अधिकारियों की मानें तो आने वाले दिनों में न सिर्फ इसकी पैदावार बढ़ने वाली है बल्कि जिला प्रशाशन द्वारा ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि यहां के किसान खुद ही अपनी उपज विदेशों में एक्सपोर्ट कर सकें.
दरअसल, किसानों की आय दोगुनी करने के आशय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुसार जिला प्रशासन ने चंदौली में दो साल पहले ब्लैक राइस की खेती का अभिनव प्रयोग किया था.
जिला प्रशासन की यह पहल दो साल बाद अब सफल होती दिख रही है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहीं मेनका गांधी ने किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया था. इसके बाद मणिपुर से प्रयोग के तौर पर ब्लैक राइस का बीज मंगाया गया.
मोदी कैबिनेट से 2 अध्यादेशों को मंजूरी, किसानों के लिए ‘एक देश एक बाजार’ की नीति
शुरुआत में ब्लैक राइस का बीज जिले के 30 प्रगतिशील किसानों को दिया गया था, जिसकी क्रॉप कटिंग में उत्साहजनक नतीजे देखने को मिले. इसके बाद अगले सीजन में ब्लैक राइस की खेती का दायरा बढ़ाया गया और सैकड़ों किसानों ने इसकी खेती की.
फसल तो तैयार हो गई, लेकिन इसकी बिक्री एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन जिला प्रशासन के प्रयास से ब्लैक राइस की बिक्री का भी इंतजाम किया गया. किसानों की मेहनत रंग लाई और किसानों का 80 मीट्रिक टन ब्लैक राइस का धान एक राइस मिलर ने एकमुश्त खरीद लिया. वाराणसी के कमिश्नर के अनुसार इसका चावल तैयार होने के बाद ऑस्ट्रेलिया निर्यात किया जाएगा.
कोरोना से जंग में मोदी सरकार का एक्शन प्लान, किसान-MSME पर बड़े ऐलान
वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए 2022 तक का सभी को लक्ष्य दिया है. उसी दिशा में हमने चंदौली में एक बहुत ही अभिनव पहल विगत 2 सालों से की थी. इसमें चंदौली जो पहले से ही धान का कटोरा के रूप में विख्यात है वहां पर काला चावल उत्पादन करने की योजना बनाई गई.
उन्होंने बताया कि इसमें पहले साल में मात्र 25 हेक्टेयर में इस काला चावल को एक्सपेरिमेंट के तौर पर लगाया गया और जिसका अच्छा परिणाम आने के बाद दूसरे साल करीब ढाई सौ हेक्टेयर में इसका उत्पादन किया गया. आज एक बहुत ही खुशी का दिन है जिसमें एक ही फर्म ने यहां पर करीब-करीब 80 मीट्रिक टन का सारा काला चावल का धान खरीदा है. काले चावल को विदेशों में एक्सपोर्ट करने की व्यवस्था की जा रही है.
औषधीय गुणों वाला चावल
दरअसल ब्लैक राइस एक औषधीय गुणों वाला चावल है. यह चावल शुगर फ्री तो होता ही है. साथ ही साथ इसमें कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को रोकने की भी क्षमता होती है और एंटीऑक्सीडेंट तत्व भी भरपूर मात्रा में पाया जाता जाता है.
यही वजह है कि ब्लैक राइस की काफी डिमांड होती है और यह काफी महंगे दामों पर बेचा जाता है. इसकी एक खासियत और होती है कि इसकी खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से की जाती है, जिसमें रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं होता है.
उधर ब्लैक राइस के उत्पादक किसान भी अपने धान को बेच कर काफी खुश हैं. चंदौली के किसानों को इस बात की खुशी है कि अब बहुत जल्द ही आने वाले दिनों में धान का कटोरा कहा जाने वाला चंदौली जिला ब्लैक राइस की खेती की वजह से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी जाना जाएगा.