
अपने सख्त और गंभीर मिजाज के लिए जाने जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार कहीं ज्यादा सुलभ नजर आ रहे हैं. विधायकों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा है कि इस बार तो मुख्यमंत्री योगी बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. योगी इस बार बिना किसी देरी के विधायकों से मिल रहे हैं, उनकी सुन रहे हैं और उनकी जायज मांग पर बिना देरी कार्रवाई भी हो रही है.
ब्लॉक प्रमुख तक की सुनी जा रही बात
नाम न छापने की शर्त पर एक विधायक ने कहा कि पहले मुख्यमंत्री से मिलना बहुत मुश्किल था इसलिए कई विधायकों ने तो वक्त मांगना भी छोड़ दिया था लेकिन इस कार्यकाल में आसानी से वक्त मिल रहा है और उनकी सुनी जा रही है. जानकारी के मुताबिक सांसद विधायक के साथ जिला अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुख तक की बात सुनी जा रही है.
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भ्रष्टाचार की शिकायत पर बिना देरी हो रही जांच
आलम यह है कि अगर किसी अधिकारी के खिलाफ कोई जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार की शिकायत कर रहा है तो उस पर बिना देरी जांच हो रही है. औरैया डीएम सुनील वर्मा का निलंबन इसका ताजा उदाहरण है. सांसद और ब्लॉक प्रमुख की शिकायत के बाद कानपुर के विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर दस्तावेजों के साथ जब औरैया डीएम की शिकायत की तो बिना देरी कार्रवाई कर हुए डीएम को सस्पेंड कर दिया गया.
अफसर अब खुद MLA से पूछ रहे समस्याएं
सिर्फ मुख्यमंत्री ही विधायकों के लिए सुलभ नहीं हुए हैं बल्कि अधिकारियों को भी बीजेपी विधायक और सांसदों की बातों को तवज्जो देने का स्पष्ट निर्देश जारी हो गया है, जिसके बाद अब अधिकारी खुद भाजपा विधायकों से समस्याएं पूछते पाए जा रहे हैं. विधायकों से नहीं मिलने या उनकी बात नहीं सुनने वाले डीएम और एसपी अब भाजपा विधायक या फिर संगठन के लोगों की बात ध्यान से सुनने लगे हैं.
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पिछले कार्यकाल की पीड़ा इस बार हो रही दूर
पिछले कार्यकाल में सबसे ज्यादा शिकायत इस बात की थी कि मुख्यमंत्री अफसरों की सुनते हैं, जनप्रतिनिधियों की नहीं. इस बार यह मिथक टूट रहा है. शिकायत इस बात की भी थी कि अधिकारी बेलगाम हैं, जनप्रतिनिधियों की कोई नहीं सुनता. इस बार जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है.
150 विधायकों ने खोल दिया था मोर्चा
दरअसल सबको साथ लेकर चलने का मंत्र इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साध रखा है. ऐसा ही इशारा इस बार केंद्रीय नेतृत्व से भी सीएम योगी को मिला है क्योंकि पिछले कार्यकाल में विधायकों की बगावत का भूत आज तक पीछा नहीं छोड़ रहा. गाहे-बगाहे वह चर्चा निकल आती है कि कैसे पिछले कार्यकाल में करीब डेढ़ सौ से ज्यादा विधायकों ने अचानक ही विधानसभा के भीतर मोर्चा खोल दिया था.
योगी संगठन को भी दे रहे तवज्जो
मुख्यमंत्री योगी इस बार संगठन को भी तवज्जो देते दिखाई दे रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक कई बार वह बीजेपी दफ्तर आ चुके हैं. अमूमन वह बड़े कार्यक्रमों या बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही बीजेपी दफ्तर का रुख किया करते थे लेकिन नए कार्यकाल में योगी छोटे-बड़े सभी कार्यक्रमों में शिरकत करते दिखाई दे रहे हैं.
योगी जब केशव मौर्य के साथ कैबिनेट पहुंचे
सबसे ज्यादा चर्चा हाल में सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के साथ एक गाड़ी में बैठकर कैबिनेट की बैठक जाने की रही है. बांग्लादेश से भागे हिंदू परिवारों की जमीनों के पट्टा देने के कार्यक्रम में दोनों पहुंचे थे लेकिन कार्यक्रम खत्म होने के बाद सीएम ने खुद पहल कर केशव मौर्य को कैबिनेट में साथ चलने को कहा. जिसके बाद दोनों एक गाड़ी में बैठकर कैबिनेट पहुंचे थे. यह दृश्य बड़े बदलाव के संकेत की ओर इशारा कर रहा है क्योंकि पिछले कार्यकाल में दोनों के बीच खटास किसी से छुपी नहीं थी.
आपसी कलह खत्म करने पर खासा जोर
सीएम योगी और दोनों डिप्टी सीएम की एक साथ राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात की थी, जिसकी तस्वीरों ने खूब सुर्खियां बटोरीं. सरकार बनने के बाद तीनों की एक साथ मुलाकात इसलिए भी चर्चा का विषय रही क्योंकि कभी ऐसी तस्वीर किसी ने नहीं देखी थी. हालांकि इसके पीछे आलाकमान की यह सोच साफ दिखाई देती है कि यूपी में नेताओं के बीच किसी तरह का विवाद या कलह का असर पार्टी पर नहीं दिखना चाहिए.