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योगी कैबिनेट 2.0: पहली बार मंत्री बने विधायकों को बड़े मंत्रालय, जानिए किसका बढ़ा कद और किसका विभाग बरकरार

यूपी में सरकार गठन के बाद सोमवार को विभागों का बंटवारा भी हो गया. योगी आदित्यनाथ ने 34 विभाग अपने पास रखे हैं. तो वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के पास 6 विभाग हैं. वहीं, दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. इस बार जितिन प्रसाद का सियासी कद भी बढ़ा है. आईए जानते हैं कि योगी 2.0 में किस नेता का कद बढ़ा और किसका रहा बरकरार...

योगी कैबिनेट में मंत्रियों के कामकाज का हुआ बंटवारा (पीटीआई) योगी कैबिनेट में मंत्रियों के कामकाज का हुआ बंटवारा (पीटीआई)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST
  • योगी कैबिनेट में विभागों का बंटवारा हुआ
  • सीएम योगी ने सबसे ज्यादा 34 विभाग रखे अपने पास

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2.0 के मंत्रियों के विभागों का बंटवारा सोमवार शाम हो गया है. योगी कैबिनेट में पहली बार मंत्री बने नए चेहरों के साथ निष्ठावान मंत्रियों को सबसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मंत्रिपरिषद के बीच काम का बंटवारा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे अधिक 34 विभाग अपने पास रखे हैं तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से पीडब्ल्यूडी विभाग लेकर ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास तथा ग्रामीण अभियंत्रण सहित छह महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए हैं. 

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बीजेपी के दिग्गज नेता दिनेश शर्मा की जगह डिप्टी सीएम बने ब्रजेश पाठक को स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले जितिन प्रसाद का सियासी कद बढ़ा है. वहीं, पूर्व आईएएस अधिकारी एके शर्मा को ऊर्जा और नगर विकास की दोहरी जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा सुरेश खन्ना और सूर्यप्रताप शाही जैसे वरिष्ठ नेताओं को उनके पुराने विभाग ही सौंपे गए हैं.

केशव प्रसाद को मिले ये छह विभाग

बदलाव की बात करें तो पिछली बार जो न्याय और विधायी विभाग ब्रजेश पाठक के पास थे, वह अब मुख्यमंत्री योगी के पास हैं, जबकि योगी के पास रहा राष्ट्रीय एकीकरण अब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हिस्से में आया है. केशव के पास पहले लोक निर्माण विभाग जैसा महत्वपूर्ण विभाग था. इस बार भी उन्हें विकास से जुड़ा विभाग मिला है, लेकिन पीडब्ल्यूडी के स्थान पर ग्राम्य विकास और समग्र ग्राम विकास एक ग्रामीण अभियंत्रण विभाग मिले हैं. इनमें खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर एवं सार्वजनिक उद्यम विभाग बरकरार रखा गया है. 

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पाठक-जितिन प्रसाद का बढ़ा कद

योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में ब्रजेश पाठक और जितिन प्रसाद सहित कई नेताओं का सियासी कद बढ़ गया है. ब्रजेश पाठक के पास पहले न्याय व ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की जिम्मा था, लेकिन अब उन्हें स्वास्थ्य विभाग की पूरी जिम्मेदारी दी गई है. पहले उन्हें डिप्टी सीएम बनाया और अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर ब्राह्मण समाज को संदेश देने की कोशिश की गई है. कुछ ऐसा ही संदेश जितिन प्रसाद को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री बनाकर दिया है. वह योगी सरकार के पहले कार्यकाल में प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाए गए थे, लेकिन इस बार उनके अनुभव के हिसाब से काम सौंपा गया है. 

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के योगी कैबिनेट में फिर से शामिल किया गया. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में  परिवहन मंत्री बनाए गए थे, बाद में उन्हें संगठन में भेज दिया गया था. उन्हें प्रोन्नत कर अब प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी हर घर नल योजना का काम संभालने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसके तहत उन्हें सिंचाई, जल शक्ति और बाढ़ नियंत्रण विभाग का जिम्मा सौंपा गया है. 

वहीं, संदीप सिंह को इस बार स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री बनाया गया है. इस बार बजट और मानव संसाधन की दृष्टि से काफी अहम बेसिक शिक्षा जैसा विभाग सौंपा गया है. बरेली के धर्मपाल सिंह जो पहली सरकार में मंत्रिमंडल से हटा दिए गए थे, उन्हें जीतने का तोहफा देते हुए एक साथ छह विभाग दिए गए हैं. 

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एके शर्मा के पास दोहरी जिम्मेदारी

नौकरशाह की नौकरी छोड़कर सियासत में आए पीएम मोदी के करीबी एके शर्मा को योगी सरकार 2.0 में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विभाग दिए गए हैं. एके शर्मा को ऊर्जा और नगर विकास की दोहरी जिम्मेदारी दी गई है. हाल के दिनों में ये दोनों विभाग किसी एक मंत्री के पास नहीं रहे हैं. कभी लालजी टंडन जैसे भाजपा के कद्दावर नेता के पास ही ऊर्जा और नगर विकास विभाग हुआ करते थे. इस तरह से एके शर्मा के कद को देखते हुए उन्हें दोनों विभाग की जिम्मेदारी सौंपी  गई है. 

पहली बार मंत्री बनने वालों को अहम विभाग

उत्तर प्रदेश में पहली बार मंत्री बनने वाले नेताओं को योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में खास अहमियत मिली है. कैबिनेट मंत्री बनीं बेबीरानी मौर्य को महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया है. योगेंद्र उपाध्याय को उच्च शिक्षा जैसा बड़ा महकमा देकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने का साथ शिक्षा में संघ परिवार का एजेंडा लागू करने की कमान सौंपी है. योगेंद्र उपाध्याय को तीन विभागों की जिम्मेदारी मिली है. उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे. 

उत्तर प्रदेश के पर्यटन विकास के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक स्थलों के विकास के लिए पर्यटन मकहमे की जिम्मेदारी जयवीर सिंह को दी गई है. परिवहन विभाग की कमान तेज स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री बने दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है. ऐसे ही पहली बार मंत्री बने जेपीएस राठौर को सहकारिता मंत्रालय की कमान सौंपकर केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के एजेंडे को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है. आईपीएस की नौकरी छोड़कर सियासत में कदम रखने वाले असीम अरुण को समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग देकर दलित को साधने की कोशिश की गई है. 

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कांग्रेस से आए राकेश सचान को सिद्धार्थनाथ सिंह के विभाग दिए गए हैं. इसी तरह कांग्रेस से आए दिनेश प्रताप सिंह को उद्यान एवं कृषि विपणन जैसे खास विभाग दिए गए हैं. यूपी चुनाव से कुछ पहले सपा से आए नितिन अग्रवाल को आबकारी देकर बड़ा संदेश दिया गया है. पहली बार मंत्री बने कुंवर बृजेश सिंह लोक निर्माण, केपी मलिक वन एवं पर्यावरण, सुरेश राही कारागार, सोमेंद्र तोमर ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा, प्रतिभा शुक्ला महिला कल्याए, बाल विकास एवं पुष्टाहार, राकेश राठौर गुरु नगर विकास, रजनी तिवारी उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई है. 

दिग्गजों के पुराने विभाग बरकरार रखे गए 

बीजेपी के दिग्गज नेता और योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे सुरेश कुमार खन्ना, सूर्य प्रताप शाही, भूपेंद्र चौधरी, कपिलदेव अग्रवाल, नंदगोपाल नंदी और रवींद्र जायसवाल को पुराने विभाग ही मिले हैं. सुरेश खन्ना और नंदगोपाल नंदी का कद भी घटा है. खन्ना से चिकित्सा शिक्षा छिन गया है और अब उनके पास वित्त और संसदीय कार्य ही रह गया है. ऐसे ही नंदी को औद्योगिक विकास विभाग की कमान जरूर सौंपी गई है, लेकिन इसका महत्वपूर्ण हिस्सा अवस्थापना मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा है. सूर्य प्रताप शाही के पास कृषि, भूपेंद्र चौधरी के पास पंचायती राज, कपिलदेव अग्रवाल के पास व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास और रवींद्र जायसवाल के पास पहले की तरह स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन बनाए रखा गया है.
 

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