
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को किसानों की कुचलकर हत्या की खबर आई तो देशभर में किसान आंदोलित हो गए. 2022 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ बने माहौल को लपकने के लिए प्रियंका गांधी ने सुबह तक का इंतजार भी नहीं किया और रात में ही लखीमपुर के लिए रवाना हो गईं. सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी सहित तमाम विपक्षी नेताओं ने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था, लेकिन योगी सरकार ने सोमवार दोपहर तक मामले को संभालने में सफल रही.
यूपी से लेकर उत्तराखंड और पंजाब तक की सियासत गरमा गई थी. सूबे की राजधानी लखनऊ ही नहीं दिल्ली, छत्तीसगढ़ और पंजाब से भी नेता लखीमपुर के लिए निकल पड़े थे. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंगलवार को लखनऊ दौरे का कार्यक्रम तय था. ऐसे में लखीमपुर खीरी में मचे बवाल और विपक्षी तेवर ने योगी सरकार के माथे पर बल ला दिया था. योगी सरकार ने ऐसे में सोनभद्र, हाथरस और हाल ही में हुए मनीष गुप्ता हत्या मामले की तरह लखीमपुर केस को नहीं लटकाया और डैमेज कंट्रोल करने में ज्यादा फुर्ती दिखाई.
लखीमपुर मामले को सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाला और 20 घंटे के भीतर ही पूरे हालात पर काबू पा लिया. विपक्षी की सारी राजनीति धरी की धरी रह गई और जो माहौल रविवार रात से गरमाया हुआ था वो सोमवार दोपहर 1 बजते-बजते हवा हो गया. हालांकि, समझौते के लिए योगी सरकार को किसानों की तमाम शर्तों को मानना पड़ा है, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैट ने किसान और सरकार के बीच सेतु क काम किया.
बीजेपी के खिलाफ विपक्ष बना रहा था माहौल
लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या ने बीजेपी के खिलाफ माहौल को और गरमा दिया था. विपक्ष चौतरफा योगी सरकार पर टूट पड़ा. प्रियंका गांधी लखीमपुर खीरी के लिए रविवार को ही रात में निकल पड़ी. पुलिस के रोकने पर नोकझोंक के वीडियो वायरल हुए. प्रियंका गांधी ने हिरासत में विरोध के तौर पर झाड़ू लगाया. बसपा नेता सतीष चंद्र मिश्रा नजरबंद कर दिए गए तो आप के संजय सिंह रोके गए. सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लखीमपुर जाने से रोका गया तो वह लखनऊ में ही सड़क पर धरना देने लगे. शिवपाल यादव घर में नजरबंद किए गए तो दीवार फांदकर लखीमपुर के निकल गए, लेकिन बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया.
गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़) में राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी के समर्थकों ने टोल प्लाजा बैरियर तोड़ दिया. चौधरी दौड़ते हुए अपनी गाड़ी में सवार हुए और लखीमपुर खीरी के लिए निकल पड़े. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर को सीतापुर में हिरासत में लिया गया. पंजाब के डिप्टीसीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को लखनऊ एयरपोर्ट पर नहीं उतरने का आदेश जारी किया. इन तमाम नेताओं की फुर्ती बता रही थी कि चुनाव से पहले विपक्ष इस मामले को बीजेपी के खिलाफ बना रहे हैं. ऐसे में हालात को संभालना सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए अहम बन गया था.
पीएम मोदी के कार्यक्रम के चलते झुकी सरकार
लखीमपुर खीरी मामले को सोमवार को ही डैमेज कंट्रोल करना योगी सरकार के लिए इसीलिए जरूरी बन गया था, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंगलवार को लखनऊ दौरा तय था. पीएम मोदी इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम के साथ-साथ 'शहरी सम्मेलन' में शामिल होंगे. साथ ही प्रधानमंत्री स्मार्ट सिटी मिशन और अमृत के तहत उत्तर प्रदेश की 75 शहरी विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और यूपी के सात शहरों के लिए 75 बसों को हरी झंडी दिखाएंगे.
ऐसे में लखीमपुर की घटना के चलते लखनऊ के सियासी हालात बिगड़ रहे थे. सपा और कांग्रेस के नेता राजधानी के सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. विपक्षी पार्टी के द्वारा पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने की संभावना थी. ऐसे में योगी सरकार के लिए जल्द से जल्द मामले को संभालने की चुनौती खड़ी हो गई थी. सीएम रात से ही पल-पल की अपडेट ले रहे थे. सोमवार को दोपहर किसान नेता राकेश टिकैत और प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार की साथ में प्रेस कॉफ्रेंस के बाद सरकार की जान में जान आई.
बीजेपी के लिए चुनाव की चिंता
उत्तर प्रदेश में चार महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने है. कृषि कानून को लेकर पहले से ही किसान नाराज है, जिससें पश्चिम यूपी का सियासी समीकरण गड़बड़ाया हुआ है और अब लखीमपुर खीरी की घटना से तराई बेल्ट के किसानों में भी नाराजी बढ़ने का खतरा खड़ा हो गया था. विपक्ष लगातार बीजेपी के किसान विरोधी बताने में लगा है. ऐसे में पश्चिम के बाद तराई इलाके में किसानों की नाराजगी बीजेपी मोल लेने के मूड में नहीं है, क्योंकि सपा-बसपा के गठबंधन के बाद भी तराई इलाके में बीजेपी ने 2019 के चुनाव में भी काफी बेहतर प्रदर्शन किया था. इसीलिए समय रहते योगी सरकार ने लखीमपुर खीरी के किसानों की तमाम शर्तों को मानकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है.
बीजेपी के समीकरण बिगड़ने का खतरा
किसान आंदोलन के चलते पश्चिम यूपी का जाट और किसान जातियां पहले से बीजेपी से नाराज हैं. ऐसे में लखीमपुर मामले से सिख वोटर के नाराज होने का खतरा बढ़ गया था. पीलीभीत से लेकर बरेली, रामपुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर, सीतापुर और बहराइच सहित तराई इलाके में सिख वोटर काफी अहम है, जो 2014 से सूबे में बीजेपी का मजबूत वोटर है. ऐसे में बीजेपी किसी भी सूरत में उन्हें अपने से दूर नहीं करना चाहती थी. जाट के बाद सिख बीजेपी से यूपी में छिटकता है तो बीजेपी को 2017 में सियासी तौर पर काफी नुकसान तारई इलाके में उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि योगी सरकार ने केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को भी किसानों की हत्या मामले में आरोपी बनाया है ताकि उनके गुस्से को शांत किया जा सके.