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सीएम योगी के फरमान का असर, अधिकारियों ने किया गौशालाओं का निरीक्षण

ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फरमान का असर ही है कि भीषण ठंड में भी सुबह से अधिकारी फील्ड पर उतर गए हैं. इतना ही नहीं लखनऊ से जिलों में नोडल अधिकारी भी भेजे गए हैं. अधिकारियों द्वारा गन्ना एवं धान क्रय केंद्रों और निराश्रित गौ आश्रय स्थलों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है. 

गौशाला का निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी (सांकेतिक तस्वीर) गौशाला का निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी (सांकेतिक तस्वीर)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 28 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए थे आदेश
  • बिना बताए गौशाला का निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी
  • किसानों का फीडबैक भी ले रहे अधिकारी

उत्तर प्रदेश सरकार ने गौशाला केंद्रों का निरीक्षण करने के लिए प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है. गौशाला और क्रय केंद्रों पर औचक निरीक्षण के लिए उतारे गए अधिकारी भी सरकार के आदेश का अच्छे से पालन कर हैं.

ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फरमान का असर ही है कि भीषण ठंड में भी सुबह से अधिकारी फील्ड पर उतर गए हैं. इतना ही नहीं लखनऊ से जिलों में नोडल अधिकारी भी भेजे गए हैं. अधिकारियों द्वारा गन्ना एवं धान क्रय केंद्रों और निराश्रित गौ आश्रय स्थलों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है. 

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योगी सरकार की तरफ से ये कार्रवाई ऐसे वक्त में की जा रही है जब दूसरी तरफ कांग्रेस ने गाय को लेकर मुद्दा गरमाया हुआ है. कांग्रेस के यूपी प्रदेश अध्यक्ष गौयात्रा निकाल रहे हैं. इस यात्रा के दौरान रविवार को उन्हें ललितपुर में रोका गया और बाद में हिरासत में भी ले लिया गया. हिरासत के बाद अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाए कि यूपी में गाय माता की मौतें हो रही हैं लेकिन सरकार बस डंका पीट रही है. अजय लल्लू बाकायदा गाय का अस्थि कलश लेकर घूमे और कहा कि वो ये विसर्जित करना चाहते थे लेकिन सरकार ने करने नहीं दिया.

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मुख्यमंत्री योगी ने अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव स्तर के अधिकारियों को लखनऊ से सीधे फ़ील्ड में उतारा है. हालांकि, जांच के बाद योगी सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि अधिकतर जगहों पर इंतजाम दुरूस्त मिल रहे हैं. 

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जांच अधिकारियों को योगी आदित्यनाथ ने अधिकार दिया है कि यदि किसी भी जगह गड़बड़ी मिलती है तो कड़ी कार्रवाई की जाए. निरीक्षण करने के साथ ही इन अधिकारियों के एक और जिम्मेदारी सौंपी गई है. इन अधिकारियों को जमीनी स्तर पर सरकारी तंत्र द्वारा किसानों से किए जा रहे संवाद का फीडबैक लेने के लिए भी कहा जा रहा है. 

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