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आखिर कैसे हुई BHU के 'शिव' की मौत? पुलिस की दलील और जांच रिपोर्ट तो जानिए

बीएचयू से बीएससी सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रहे छात्र शिव कुमार को कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान डायल 112 की गाड़ी उठाकर ले गई थी. तीन दिन बाद शिवकुमार का शव रामनगर के एक तालाब में बरामद हुआ. इसी मामले में सीबीसीआईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में सौंप दी.

मृतक छात्र शिवकुमार मृतक छात्र शिवकुमार
रोशन जायसवाल/पंकज श्रीवास्तव
  • वाराणसी,
  • 22 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 6:54 PM IST
  • तालाब के पास मिली थी लावारिस लाश
  • 14 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

यूपी में वाराणसी के लंका थाने से गायब BHU छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के मामले में सीबीसीआईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में सौंप दी. सीबीसीआईडी ने अदालत में स्वीकार किया कि शिव कुमार की मौत तालाब में डूबकर हुई. जांच अधिकारी ने बताया कि छात्र मानसिक रूप से बीमार था और उसका इलाज भी चल रहा था. उसे लंका थाने लाया गया था, लेकिन वह उसी रात निकल गया.

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तालाब के पास तीसरे दिन एक लावारिस लाश मिली थी, जिसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. फोटो के आधार पर पिता ने उसकी पहचान की और डीएनए टेस्ट भी कराया गया. इसके बाद पता चला कि शव लापता छात्र शिव कुमार त्रिवेदी की ही थी. इस मामले में कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट एफिडेविट के साथ दाखिल करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी.

दरअसल, मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी बीएचयू से बीएससी सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रहे थे. 12 फरवरी की रात बीएचयू कैंपस में साथियों के साथ टहलने निकला था. लेकिन कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान डायल 112 की गाड़ी शिवकुमार को उठाकर ले गई. लेकिन पुलिस उसे अपने साथ ले जाने की बात से मना करती रही. ज्यादा दबाव पर पुलिस ने कहा कि वे शिव कुमार को अपने साथ लाए थे, लेकिन फिर उसे छोड़ दिया था. पिता लगातार संपर्क की कोशिश करते रहे. पिता जब बीएचयू पहुंचे तो पता चला कि कई दिनों से वो कैम्पस नहीं आया. शिव के पिता प्रदीप त्रिवेदी ने गुमशुदगी की रिपोर्ट लंका थाने में लिखाई. शिव के पिता प्रदीप ने अपने बेटे के न मिलने तक नंगे पांव ही रहने का संकल्प लिया था. इस मामले में सीएम योगी ने जांच सीबीसीआईडी को सौंपी थी.

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इस पूरे मामले की जांच आईपीएस सुनीता सिंह की अगुवाई वाली टीम कर रही है. याचिकाकर्ता के वकील सौरभ तिवारी ने छात्र की बरामदगी को लेकर जनहित याचिका पत्र दाखिल की है. ये सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने की.

 

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