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रायबरेली से कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में दबंग अखिलेश की बेटी

अदिति कहती हैं कि मेरा और मेरे पिता का व्यक्तित्व अलग है. कई मुद्दों पर हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन आप ये भी देखिये मेरे पिता को लगातार पांच बार जनता ने जिताया, इसलिए मैं अपने पिता से काफी कुछ सीखती भी हूं और उनके जैसा मज़बूत बनना चाहती हूं.

प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस उम्मीदवार अदिति सिंह प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस उम्मीदवार अदिति सिंह
कुमार विक्रांत
  • रायबरेली,
  • 21 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 12:29 AM IST

रायबरेली सदर सीट से 5 बार के बाहुबली विधायक अखिलेश प्रताप सिंह की बेटी अदिति सिंह ने 'आज तक' से खास बातचीत में कहा कि, वो प्रियंका से प्रभावित होकर राजनीति में आई हैं. उनके पिता बीमारी के चलते इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और उनकी जगह अदिति सिंह रायबरेली की सदर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.

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गौरतलब है कि अखिलेश सिंह की छवि इलाके में रोबिन हुड की रही है. उनकी पृष्ठभूमि आपराधिक रही है. शुरू में वो कांग्रेस के टिकट पर ही विधायक बने थे, लेकिन बाद में उनकी छवि और स्थानीय नेताओं से अनबन ने उन्हें कांग्रेस से दूर कर दिया. लेकिन सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र की सदर सीट वो कभी निर्दलीय, तो कभी जेल की सलाखों के भीतर रहकर चुनाव लड़ते और जीतते रहे. आखिरी बार साल 2012 में वो पीस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते.

अखिलेश सिंह की ताकत ही थी जब ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में सोनिया ने लोकसभा की रायबरेली सीट से इस्तीफ़ा दिया और उपचुनाव में जीत का अंतर बढ़ाकर कद ऊंचा करने की चाहत में गांधी परिवार ने अखिलेश की मदद मांगी. अखिलेश ने निर्दलीय रहकर मदद की भी और सोनिया की जीत का अंतर भी बढ़ा दिया. लेकिन अपनी छवि, तुनकमिजाजी, दबंगई और स्थानीय कांग्रेसी नेताओं से अनबन ने एक बार फिर उनको गांधी परिवार के विपक्ष में खड़ा कर दिया है.

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ख़राब सेहत के चलते अखिलेश को अपनी विरासत की चिंता सताने लगी. इलाके में रसूख को भी कुछ हल्का पड़ता देख अखिलेश ने एक बार फिर कांग्रेस का रुख किया. हालांकि वो खुद परदे के पीछे रहे. अखिलेश की छवि भले ही दबंग हो, लेकिन अपनी बेटी को उन्होंने खुद से एकदम अलग माहौल दिया है. अदिति सिंह अमेरिका से मास्टर डिग्री लेकर पिता की विरासत संभालने रायबरेली आयीं हैं. पिता के बाहुबली और अपराधी छवि के सवाल पर वो जवाब भी देती हैं.

अदिति कहती हैं कि मेरा और मेरे पिता का व्यक्तित्व अलग है. कई मुद्दों पर हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन आप ये भी देखिये मेरे पिता को लगातार पांच बार जनता ने जिताया, इसलिए मैं अपने पिता से काफी कुछ सीखती भी हूं और उनके जैसा मज़बूत बनना चाहती हूं. कभी गांधी परिवार पर निजी हमले करने वाले अखिलेश सिंह की बेटे कांग्रेस में कैसे आ गई, इस सवाल पर वो कहतीं हैं कि, हमारे परिवार का कांग्रेस से पुराना नाता रहा है, इंदिरा जी हमारे घर आया जाया करती थीं, मैं प्रियंका से प्रभावित हूँ, इसलिए कांग्रेस में शामिल हुई हूं.

हालांकि अखिलेश सिंह भी कांग्रेस की बजाय सिर्फ अपनी बेटी को जिताने में जुटे हैं. अखिलेश बिना कैमरे के मीडिया से बात करते हुए प्रियंका की तारीफ करते हैं, लेकिन जोड़ते हैं कि, मेरी कांग्रेस से नहीं बनी, पर बेटी ने सही फैसला किया है, क्योंकि उसकी प्रियंका से सीधे ट्यूनिंग बनी है. हालांकि, बीमार दिख रहे अखिलेश का अंदाज़ नहीं बदला है, हर छोटी बात पर वो गुस्साते हैं, लेकिन उनके समर्थक इसे उनकी अदा मानते हैं. जिसके चलते वो किसी के लिए रोबिन हुड हैं, किसी के लिए डॉन तो किसी के लिए अपराधी छवि के नेता हैं. वैसे अखिलेश ने अपनी इस छवि की परवाह नहीं की, लेकिन उनकी बेटी इसका ख्याल रखतीं हैं, वो सभी समर्थकों से सौम्य रहती हैं.

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अदिति को अपने पिता की ताकत का पूरा अंदाजा है. प्रियंका गांधी के प्रचार न करने के सवाल पर वो कहती हैं कि, वो राहुल जी की सभा में आईं थीं, प्रचार कर दिया, काफी है. अब वो प्रचार करने नहीं आ रहीं तो कोई बात नहीं, वो तो जीत ही रही हैं.

पिता की राजनीति के साए में भले ही अदिति अपना पहला चुनाव लड़ रहीं हैं. विदेश में पढ़ी लिखी, एक नौजवान महिला के तौर पर अदिति, पिता की सियासी विरासत तो संभाल रही हैं, लेकिन डॉन या अपराधी छवि के नेता की बेटी की जकड़न से खुद को दूर रखने की कोशिश करती भी नज़र आती हैं.

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