
सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में हुए गोलीकांड के बाद सबसे पहले घटनास्थल की ओर कूच करने वालीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एक बार फिर सोनभद्र पहुंचीं हैं. यहां प्रियंका ने स्थानीय लोगों से मुलाकात की. पिछली बार की कोशिश में प्रियंका को सोनभद्र नहीं जाने दिया गया था. तब उन्होंने पीड़ित परिवार की जमीन वापस दिलाने की दिशा में किए गए प्रयासों की जानकारी दी थी.
प्रियंका गांधी ने ग्रामीणों से पहले ही इसके लिए हर संभव प्रयास का वादा किया था. दूसरी तरफ सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रियंका गांधी के इस दौरे को केवल राजनीति करार दिया है.
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि सोनभद्र के विवाद की जड़ में कांग्रेस ही है. सरकार द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के ही एक नेता ने सन 1955 में जमीन को सोसाइटी बनाकर हस्तांतरित किया था.
सरकार के आरोपों का जवाब देंगी प्रियंका गांधी!
ऐसा माना जा रहा है प्रियंका गांधी अपने इस दौरे के दौरान प्रारंभिक जांच के बाद योगी सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दे सकती हैं. इससे पहले प्रियंका गांधी 19 जुलाई को भी सोनभद्र दौरे पर गई थीं. तब उन्हें वाराणसी और मिर्जापुर में ही रोक लिया गया था. इसके बाद लंबे चले सियासी ड्रामे के बाद पीड़ित परिवारों के सदस्यों से मिलने की जिद के साथ प्रियंका धरने पर बैठ गई थीं. पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात के बाद ही प्रियंका गांधी ने अपना धरना खत्म किया था.
दौरे को लेकर प्रशासन मुस्तैद
प्रियंका के पिछले दौरे के दौरान घटनाक्रम को देखते हुए जिला प्रशासन इस बार मुस्तैद है. वहीं कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी गरीबों, दबे-कुचले और शोषित लोगों के लिए लगातार लड़ाई लड़ रही हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रियंका पीड़ित परिवारों से मिलकर सरकार की ओर से मिली मदद, आगे के लिए किए गए वायदों और गरीबों की जमीन वापस दिलाए जाने के मुद्दे पर ग्रामीणों से चर्चा करेंगी.
प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों के अपने-अपने तर्क हैं. प्रियंका और कांग्रेस की मन्शा चाहे जो हो, लेकिन प्रदेश की सियासत एक बार फिर गर्म हो गई है.
सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में 17 जुलाई को एक जमीन विवाद को लेकर ग्राम प्रधान और उसके सहयोगियों ने लोगों के एक समूह पर गोलियों की बौछार कर दी थी. इस हादसे में कुल 10 लोगों की मौत हो गई थी.