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कोरोना ग्राउंड रिपोर्ट: कानपुर के इन गांवों में लगातार हो रही मौतें, स्वास्थ्य विभाग ने नहीं ली कोई सुध

आजतक ने कानपुर के घाटमपुर इलाके के 2 गांव में हो रहीं लगातार मौतों की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है. इन गांव में पिछले 15 दिनों में 25 से 30 लोग कोरोना से मर गए हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग से कोई भी इनकी सुध लेने वाला नहीं है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • कानपुर,
  • 10 मई 2021,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST
  • गांव में कोरोना को लेकर लोगों में भारी लापरवाही
  • कोई भी चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही
  • स्वास्थ्य विभाग का एक भी कर्मचारी नहीं पहुंचा
  • टेस्टिंग नहीं, इसलिए अस्पतालों में भर्ती भी नहीं हो पा रहे

गांव में बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप को अगर जल्द ही नहीं रोका गया तो यह एक भयावह स्थिति बन जाएगी. गांव वाले कोरोना को रहस्यमयी बीमारी बताते है क्योंकि यहां टेस्टिंग और ट्रेसिंग हो ही नहीं रही है. आजतक ने कानपुर के घाटमपुर इलाके के 2 गांव में हो रहीं लगातार मौतों की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है. हकीकत यह है कि गांव में पिछले 15 दिनों में 25 से 30 लोग गए हैं और स्वास्थ्य विभाग से कोई भी इनकी सुध लेने वाला नहीं है.

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सबसे पहले आजतक ने घाटमपुर क्षेत्र के गांव जहांगीराबाद में हो रही मौतों का जायजा लिया. इस गांव में जाकर यह पता चला कि पिछले 20- 22 दिनों में 25 से 30 लोगों की मौत हो गई है. इस गांव के लोग यही बताते हैं कि सर्दी खांसी जुकाम बुखार होने के बाद सांस लेने में तकलीफ हुई और उसके बाद उस शख्स की मौत हो गई. गांव में कोई सुविधा ना होने की वजह से इन लोगों को अस्पताल ले जाना भी मुश्किल हो रहा है.

स्वास्थ्य केंद्र में कूड़ा-करकट और ताला

जहांगीराबाद कानपुर क्षेत्र के घाटमपुर इलाके का ऐसा गांव है जिसकी आबादी करीब 6,000 है और 3,300 के आसपास इस गांव में वोटर हैं, इस गांव में ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र जो काफी सालों पहले बनाया गया था, उसकी हालत बद से बदतर हो गई है. जहांगीराबाद में अब तक 25 से 30 लोगों की मौत हो चुकी है, पर स्वास्थ्य केंद्र का हाल देखें तो यहां पर किसी भी तरीके की मूलभूत सुविधा नहीं है और स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ कूड़ा करकट और ताला लगा हुआ दिखाई पड़ेगा.

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6000 की मिश्रित आबादी का गांव जहांगीराबाद, जहां अधिकतर घरों में बीमार लोग देखे जा सकते हैं. इसी गांव में बीते 20 दिन में 25 से 30 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. जहांगीराबाद गांव की स्थिति की बात करें तो पत्रकार टीम देखते ही ग्रामीण अपने कटु अनुभव सुनाने लगे. ग्रामीणों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने गांव में इतनी मौतों के बाद भी अभी तक गांव की तरफ एक नजर भी नहीं फेरी है. गांव में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ना तो सैनिटाइजेशन हुआ और ना ही चेकअप कैंप लगाया गया. गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी खंडहर में तब्दील हो चुका है. जब से बना है तब से उसमें ना तो डाक्टरों की नियुक्ति हुई है और ना ही कोई स्वास्थ्य व्यवस्था का लाभ ग्रामीणों को मिला.

बीते दिन गांव में मृत्यु का शिकार हुए 65 वर्षीय शीतला सहाय खरे को ही ले लीजिए, परिजनों के अनुसार उनके चाचा को बीते 2 दिन से सांस लेने में दिक्कत थी. परिजन उन्हें कानपुर के कई अस्पतालों में ले गए. पर हर जगह उन्हें कोविड रिपोर्ट ना होने का बहाना बनाकर वापस लौटा दिया गया. किसी ने उन्हें देखा तक नहीं. थक हारकर वे उन्हें घर ले आए. ऑक्सीजन की व्यवस्था की. स्थितियों में सुधार होने लगा, पर डॉक्टरी चिकित्सक के परामर्श ना मिलने से अनजान परिजनों ने स्थितियों में सुधार देखते हुए ऑक्सीजन हटा दी.

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दूसरे दिन सुबह अचानक वृद्ध की तबीयत बिगड़ी और कुछ देर बाद उनकी सांसें थम गई. यह स्थिति केवल शीतला सहाय की ही नहीं थी, गांव में मृत्यु का शिकार हुए नम्हकू लाल, सुभाष पांडे, शिव कुमार पांडे ,लाला साहू, सुंदर कुशवाहा, अयोध्या कुशवाहा, जमील, सत्तार, असलम, कल्लू, राजा यादव, दशरथ सोनकर, मोती लाल सोनकर, रामाश्रय यादव, अर्चना कुशवाहा सभी इन स्थितियों से दो चार हुये और मृत्यु को प्राप्त हुए. जहांगीराबाद के ही मजरा रहेमपुर में भी यही हालात हैं. प्रधान भी अभी-अभी निर्वाचन होने की वजह से ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहें है.

परास गांव में डॉक्टर की कोरोना से मौत

आजतक की टीम इसके बाद घाटमपुर क्षेत्र के नजदीक उस गांव पहुंची, जिसमें गांव वालों ने कोरोना से मरने वाले लोगों की लिस्ट तैयार की है.  घाटमपुर के इस "परास" गांव में 33 लोगों की मौत हुई है जिसमें सब लोगों में करोना जैसे लक्षण दिखाई पड़ रहे थे. गांव वालों का कहना है कि इन सभी लोगों को कोरोना हुआ था, उसके बाद ही इनकी मौत हुई है, इसके बावजूद शासन-प्रशासन का कोई भी आदमी गांव नहीं आया है. गांव वाले अब थक-हारकर खुद ही सैनिटाइजेशन का काम कर रहे हैं. पारस गांव के बुजुर्ग आदमी ने बताया  ''यहां कोई टीका नहीं लगवा रहा है. डर है कि कोई मर ना जाए, एक आदमी को बुखार आया था वो मर गया.''

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