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प्रयागराजः गंगा किनारे दफन शवों के ऊपर से हटाई गईं चादरें, उखाड़ी लकड़ियां

कोरोना के प्रकोप के बीच प्रयागराज में संगम किनारे दबाए दर्जनों शव एक बार फिर दिखने लगे हैं. बारिश, तेज़ हवा के कारण रेत हटी तो प्रशासन फिर हरकत में आया और अब इन शवों को फिर से ढकने का काम किया जा रहा है.

प्रयागराज में फिर ढके जा रहे हैं शव प्रयागराज में फिर ढके जा रहे हैं शव
पंकज श्रीवास्तव
  • प्रयागराज,
  • 25 मई 2021,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST
  • प्रयागराज में संगम किनारे दफ्न शवों को फिर ढका गया
  • शवों के ऊपर से हट गई थी रेत, अब फिर ढका गया
  • प्रशासन ने कहा- ऊपर निकले थे शव, इसलिए सही किया गया

कोरोना की दूसरी लहर ने उत्तर प्रदेश के शहर-शहर में हाहाकार मचा दिया है. संगम नगरी प्रयागराज में तो हालात ये हैं कि गंगा किनारे ही रेत पर दर्जनों शवों को दफनाया गया था. लेकिन जब यहां पर दफनाए गए शवों पर से रेत हटी और फिर शव बाहर दिखने लगे, तो नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा शवों को फिर से ढका जा रहा है और इनपर बालू डाली जा रही है. हालांकि, प्रशासन इसके पीछे तर्क दे रहा है कि शव निकल आए थे जिन्हें ठीक से दफनाने के लिए ऐसा किया गया है. 

कोरोना के प्रकोप के बीच संगम किनारे दफनाए गए शवों की तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर दिया था. राज्य सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए. लेकिन शवों का हाल तब बुरा हो गया, जब तेज बारिश, हवा के कारण रेत हटने लगी. ऐसे में दफनाए गए शव बाहर आने शुरू हो गए, कुछ तस्वीरें ऐसी भी वायरल हुईं जिनमें कुत्ते शवों को नोच रहे थे.

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अब प्रशासन द्वारा यहां शवों पर लगाई गई चुनरी को भी हटाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा जो लकड़ियां आस-पास लगाई गई थीं, उन्हें भी हटा दिया गया है. बता दें कि चुनरी लगे शवों का फोटो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ था. 

संगम किनारे शवों की कतार

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मेयर की देखरेख में बनी निगरानी टीम
अब इसको रोकने के लिए मेयर की देखरेख में नगर निगम कर्मचारियों की एक निगरानी टीम लगा दी गई है, जो लगातार इन इलाकों में बराबर नज़र बनाए हुए है. टीम लगातार लोगों को शव न दफनाने के लिए समझा भी रही है. जिन लोगों की शव दफनाने की परंपरा रही है, उनको एक अलग जगह निर्धारित की गई है. वही शमशान घाटों पर लकड़ियों की पर्याप्त व्यवस्था भी की गई है जिससे लोगों को कोई परेशानी न हो. 

आपको बता दें कि नदी किनारे शवों को दफनाने से पहले बिहार, यूपी के कई इलाकों में नदियों में शव भी दिखे थे. जिसपर काफी बवाल खड़ा हुआ था और दोनों ही राज्य एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते दिख रहे थे. कोरोना के कहर ने जब से गांवों में अपना पैर पसारना शुरू किया है, तभी से ही इस तरह की भयावह तस्वीरें सामने आने लगी हैं. 

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मेयर की निगरानी में बनी कमेटी

स्थानीय लोग हैरान, प्रशासन बना अनजान
बता दें कि हिन्दू रीति रिवाज़ में अधिकतर शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, सिर्फ कुछ ही मामलों में शवों को इस तरह दफनाने की रीति को अपनाया जाता है. लेकिन कोविड का कहर ऐसा टूटा कि सभी रीति रिवाज किनारे हो गए और दर्जनों की संख्या में प्रयागराज में संगम किनारे शवों को दफनाने का सिलसिला जारी रहा. 

आसपास रहने वाले लोगों को कहना है कि उन्होंने कभी ऐसा नज़ारा नहीं देखा, जब लगातार इतनी बड़ी संख्या में शव आ रहे हो और लगातार उन्हें दफनाया जा रहा हो. हालांकि, प्रशासन की ओर से बार-बार इन शवों को कोरोना संक्रमित मरीज़ों का शव बताने से इनकार किया जाता रहा. प्रयागराज के आईजी केपी सिंह ने बयान दिया था कि कोविड मरीज़ों के शवों का श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जा रहा है, गंगा किनारे चौकसी बढ़ाई गई है ताकि कोई शव प्रवाहित या दफनाए नहीं. 

 

 

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