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कोरोना वैक्सीन में 'पॉर्क जिलेटिन'? UP के मुस्लिम धर्मगुरु बोले- इमरजेंसी यूज के लिए है इजाजत

इस्लामिक जानकार एवं मुस्लिम धर्म गुरुओं ने बयान दिया है कि जो चीज इस्लाम में हराम है, वह नॉर्मल तौर पर हराम है. लेकिन अगर कोई इमरजेंसी है तो, उसके लिए जो भी दवा बनेगी और जिस चीज से दवा बनेगी, उसके लिए इस्लाम हमें इजाजत देता है.

 कोरोना वैक्सीन  (फाइल फोटो) कोरोना वैक्सीन (फाइल फोटो)
सत्यम मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 24 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST
  • मुस्लिमों के एक तबके में वैक्सीनेशन को लेकर चर्चा
  • UP के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने दिया बड़ा बयान
  • वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के लिए इजाजत

कोरोना वैक्सीन के इंतजार के बीच मुस्लिमों के एक तबके में वैक्सीनेशन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. कई मुस्लिम संगठनों का कहना है कि वैक्सीन में अगर पॉर्क (सुअर की चर्बी) जिलेटिन होगी, तो उसे इस्लाम में हराम माना जाएगा और वे वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल नहीं होंगे. ऐसे में इस मसले पर यूपी के इस्लामिक जानकार एवं मुस्लिम धर्म गुरुओं ने बयान दिया है.

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लखनऊ में मौलाना सैफ अब्बास (शिया धर्मगुरु) का कहना है कि जो चीज इस्लाम में हराम है, वह नॉर्मल तौर पर हराम है. लेकिन अगर कोई इमरजेंसी है तो, उसके लिए जो भी दवा बनेगी और जिस चीज से दवा बनेगी, उसके लिए इस्लाम हमें इजाजत देता है. ऐसे में इस बयान का मतलब हुआ कि मुस्लिमों को कोरोना वैक्सीन की डोज लेने से परहेज नहीं करना चाहिए.

वहीं, लखनऊ में मौलाना सुफियान निजामी (सुन्नी धर्मगुरु एवं प्रवक्ता, दारुल-उलूम-फरंगी महल) कहते हैं कि 'जो भी मुसलमान इस्लाम धर्म को मानते हैं और उसका पालन करते हैं, उनको इस्लाम धर्म की इस बात को भी मानना पड़ेगा, जिसमें कहा गया है कि जान की हिफाजत करना, उसे बचाना सबसे पहली प्राथमिकता है. अगर जान बचाने के लिए कोई ऐसी दवा बनकर आती है, जिसमें गैर इस्लामी चीजें मिली हैं तो भी सेवन करना चाहिए.'

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उन्होंने आगे कहा कि, 'जो मुंबई के लोग कह रहे हैं कि इसमें यह चीज (पॉर्क) पड़ी है तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आज जो भी दवा बनकर आ रही हैं, क्या वह सब क्लियर हैं? अगर आज की दवाओं को भी चेक किया जाए तो उनमें वह चीजें मिली है जो इस्लाम में प्रतिबंधित है. लेकिन क्योंकि हमें जान बचाना है, लिहाजा हम उन दवाओं का सेवन करते हैं. इसलिए कोरोना वैक्सीन का सेवन सारे मुसलमानों को करना चाहिए, जैसा कि अरब देशों ने भी इस बात को माना है.'

कोरोना वैक्सीन पर UP के मुस्लिम धर्मगुरुओं का बयान

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मौलाना के मुताबिक, 'सारे मुसलमानों को इसका सेवन करना चाहिए और इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, जिससे आपस में विवाद पैदा हो. अभी दवाई नहीं आई, उससे पहले ही इसपर विवाद किया जा रहा है, जो कि गलत है. क्या ठीक है और क्या गलत है, उसे सरकारें तय करेंगी और उसके बाद ही इस वैक्सीन का इंप्लीमेंटेशन मंजर-ए-आम पर होगा.'

उधर, इस मसले पर लखनऊ में ही मौलाना यासूब अब्बास (इस्लामिक जानकार एवं शिया धर्मगुरु) ने कहा कि, 'देखिए जहां तक मैं समझता हूं इस्लाम धर्म में जान बचाना जायज है. एक जानवर की भी जान बचाना इस्लाम धर्म में जरूरी है, फिर इंसान तो दूर की बात है. कुत्ता इस्लाम धर्म मैं नजीज जानवर है, इस्लाम धर्म कहता है कि अगर कुत्ता प्यासा है और तुम्हारे पास पानी वजू के लिए है तो वजू मत करो, कुत्ते की जिंदगी बचा लो और वजू की जगह तैय्यबुम करो.'

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मौलाना ने आगे कहा कि, 'ऐसे में आप समझ सकते हैं कि अगर इस्लाम धर्म में एक जानवर की जान की इतनी कीमत है तो इंसान के जान की कितनी कीमत होगी. लिहाजा मैं यह राय देता हूं कि बेशक कुछ लोग कोरोना वैक्सीन को लेकर गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं. लेकिन फिर भी यह दवा है और सबको मिलकर इस वैक्सीन को लगवाना चाहिए और इंसानियत को बचाना चाहिए. सबको इस वैक्सीन को लगवाना चाहिए और सवाल नहीं उठाना चाहिए कि अंदर क्या है? वह खुदा जानें मेडिकल के जिम्मेदार लोग जानें और जो लोग उसको बना रहे हैं. आपको तह तक जाने की जरूरत नहीं है, इस्लाम में तह तक जाने की इजाजत नहीं है. जान बचाना लाज़मी है, लिहाजा जान बचनी चाहिए.'

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