
बेटे-बेटियों के बीच का गेप सबके सामने उजागर है. सरकार भी इसे कम करने के लिए कई योजनाएं चला रही है, चाहे उनकी शिक्षा की बात हो चाहे कई तरह के अलग प्रोत्साहन देने की बात हो. केंद्र सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसी बड़ी योजना इस उद्देश्य के साथ चलाई हुई है. लेकिन बेटियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता.
एक नई पहल गाजियाबाद के डीएम द्वारा चलाई गई है, जिसमें उन्होंने अधिकारियों-कर्मचारियों और जनता से भी अपील की है कि वे अपने घरों के बाहर जो नेम प्लेट लगाते हैं वो बेटियों के नाम पर लगाना शुरू कर दें.
जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने जिले में बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए "बेटी का नाम, घर की शान" कार्यक्रम शुरू किया है, कार्यक्रम के तहत IAS, PCS, प्रशासनिक अधिकारियों, जिला प्रशासन कर्मचारियों और आम जनता को, बेटियों के नाम की घरों की नेम प्लेट दी गईं.
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जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने ये अनोखी नेम प्लेट फिलहाल 25 परिवारों की बेटियों को सौंपी है, बेटियों को दी गई नेम प्लेट पर कार्यक्रम का नाम "बेटी का नाम, घर की शान" और घर में मौजूद बेटियों का नाम लिखा है, यह अपने आप में एक अनोखी पहल है जो यह बात समाज में और पुख्ता तरीके से सामने लाएगी कि बेटियां कितनी महत्वपूर्ण हैं.
यह कार्यक्रम गाजियाबाद जिला मुख्यालय में आयोजित किया गया था, जिसमें जिले के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तवर के साथ तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे. नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर और एसडीएम खालिद अंजुम समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी घर के बाहर बेटी के नाम की नेम प्लेट लगाई जाएगी.
जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में तकरीबन दो दर्जन लोगों को नेम प्लेट दी गई है. आगे भी इस कार्यक्रम से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.