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दिल्ली: लाजपत नगर में क्यों करनी पड़ी सीलिंग, ये है इसके पीछे की कहानी

डीसी एसके सिंह ने सफाई देते हुए बताया कि लाजपत नगर में सीलिंग करना एमसीडी के लिए जरूरी हो गया था क्योंकि वहां अतिक्रमण की बहुत शिकायत थी.

लाजपत नगर में सीलिंग लाजपत नगर में सीलिंग
अजीत तिवारी/मणिदीप शर्मा/रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:19 AM IST

लाजपत नगर की सीलिंग बीते दिनों चर्चा में रही है. व्यापारियों के साथ जिस तरह से पुलिस की झड़प हुई उसके बाद लाजपत नगर में राजनीतिज्ञों के जाने से वहां का माहौल गर्म हो गया. ऐसे में साउथ एमसीडी के डीसी एसके सिंह ने सफाई देते हुए बताया कि लाजपत नगर में सीलिंग करना एमसीडी के लिए जरूरी हो गया था, क्योंकि वहां अतिक्रमण की बहुत शिकायत थी.

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साउथ एमसीडी में सेंट्रल ज़ोन के डीसी एस. के.सिंह ने बताया कि ओल्ड डबल स्टोरी लाजपत नगर- 4 को 50 के दशक में भारत सरकार के पुनर्वास मंत्रालय के तहत एल एंड डी ओ ने विकसित किया था और इसका आवंटन विभाजन के बाद विस्थापितों को किया गया था. DC एस.के.सिंह ने बताया कि लाजपत नगर- 4 के ले आउट प्लान के अनुसार ब्लाकों के बीच 36 फुट का राइट ऑफ वे है.

ब्लाकों के बीच कुल स्थान 60 फुट है और हर एक ब्लाक के बीच साझा स्थान 12 फुट है जो कि एल एंड डी ओ की जमीन है. यह साझा स्थान जो दरअसल पैदल चालकों के आने जाने के लिये और विभिन्न सामुदायिक सेवाओं के लिये था, उस पर वहां के लोगों ने आगे 12 फुट तक और पीछे की तरफ लगभग 30 फुट पर अतिक्रमण कर रखा है.

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बहुमूल्य सार्वजनिक भूमि पर नियम का खुल्लमखुला उल्लंघन करते हुये बड़े पैमाने पर बदलाव-अतिरिक्त निर्माण करके स्थाई और अर्द्ध स्थाई ढांचे बना लिये गये हैं. साउथ ज़ोन के डीसी एस. के.सिंह के मुताबिक अतिक्रमण क्योंकि काफी बड़े और चौथे तल तक थे और सार्वजनिक भूमि पर  से अतिक्रमण रोधी दल द्वारा इन्हें हटाना संभव नहीं था, इसलिये निगरानी समिति के निर्देश पर इन्हें सील किया गया. आठ मार्च को कार्रवाई के दौरान 346 संपत्तियों को सील किया गया.

साउथ जोन के डीसी एस. के.सिंह ने बताया कि कार्रवाई के दौरान कुछ स्थानों पर प्रदर्शन हुये और  शरारती तत्वों ने पथराव किया जिसमें पुलिस के 4 अधिकारी घायल हुये. संबंधित पुलिस अधिकारी के पास एक शिकायत दर्ज कराई गयी और पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.

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