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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (Delhi Meerut Expressway) में 20 करोड़ रुपये से ज्यादा मुआवजा देने के मामले की रिपोर्ट कमिश्नर प्रभात कुमार ने CM योगी आदित्यनाथ को सौंपी थी. इसमें बताया गया था कि 2004 बैच की IAS निधि केसरवानी 20 जुलाई 2016 से 28 अप्रैल 2017 तक गाजियाबाद की DM रही थीं. यह मणिपुर कैडर की अधिकारी हैं. निधि केसरवानी पर आरोप है कि दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे पर तय की गई तय तय राशि से 6 गुना ज्यादा मुआवजे का भुगतान किया गया. इस तरह मुआवजे में 20 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार का खेल किया गया. इस जमीन का अधिग्रहण नहल, कुशालिया डासना रसूलपुर सिकरोड़ क्षेत्र में किया गया.
इस जमीन का अधिग्रहण 2011-12 में 71 हेक्टेयर जमीन पर हुआ था. इसके बाद साल 2013 में अवार्ड घोषित किया गया था. 2016 में 23 किसानों ने मेरठ मंडल के कमिश्नर से शिकायत की थी. उनका कहना था कि जमीन एक्सप्रेसवे में अधिग्रहीत की गई है, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं मिला है. इसके बाद शासन ने इस पर जांच रिपोर्ट तलब की थी. इस पूरे मामले में 2 आईएएस अधिकारी और एक पीसीएस अधिकारी के शामिल होने की बात कही जा रही है.
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जांच में सामने आया कि भूमि अधिग्रहण की धारा 3 डी हो जाने का बावजूद जमीन को अधिकारियों के रिश्तेदारों, परिजनों ने खरीदा, जबकि इस धारा की कार्रवाई के बाद संबंधित क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लग जाती है. आरोप है कि भू अर्जन विभाग और DM ने मिलीभगत करके 10 गुना तक मुआवजा उठवा लिया. पूरे मामले में गाजियाबाद के तत्कालीन DM विमल शर्मा व निधि केसरवानी की भूमिका को संदिग्ध माना गया है. जांच में यह भी पता चला है कि तत्कालीन ADM के बेटे ने भी 2013 में जमीन खरीदी थी, जिसका भुगतान किया गया था. जमीन एक करोड़ 78 लाख पांच हजार 539 रुपये में खरीदी गई और आर्बिट्रेशन के बाद इसकी कीमत 9 करोड़ 36 लाख 77,449 हुई. इस तरह इन्हें सात करोड़ 58 लाख 71 हजार 910 रुपये का फायदा हुआ.
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जिला प्रशासन में तत्कालीन अमीन संतोष कुमार की पत्नी लोकेश बेनीवाल, मामा रनवीर सिंह और बेटा दीपक के अलावा बहू आदि ने नाहल में 9 खसरा नंबरों की जमीन अधिसूचना जारी होने के बाद खरीदी. इस जमीन को 3 करोड़ 54 लाख 20 हजार 442 रुपये में खरीदा गया था. इसका मुआवजा 14 करोड़ 91 लाख 85 हजार 429 रुपये बना था.
इस तरह प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से 11 करोड़ 37 लाख 64 हजार 987 रुपये का फायदा पहुंचाया गया. हैरानी की बात यह है कि इन जमीनों की वजह से दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे का काम देर तक लटक गया. निर्माण कार्य में देरी हुई. चार गांव डासना, कुशलिया, नाहल और रसूलपुर सिकरोड में करीब 19 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण अटका है. छह एकड़ जमीन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में जानी है. यहां एक्सप्रेस-वे का तीन किमी का हिस्सा इसमें फंसा है.