
उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक ईंट-भट्ठे पर 33 मजदूरों को बंधक बनाकर बिना पैसे का भुगतान किए काम कराए जाने के मामले में झारखंड सरकार ने दखल दिया. झारखंड सरकार की ओर से दखल दिए जाने के बाद देवरिया जिला प्रशासन ने मजदूरों के बकाया चार लाख 77 हजार रुपये का भुगतान करवाया और उन्हें झारखंड स्थित उनके घर वापस भेजने का इंतजाम कराया गया.
इस मसले को लेकर देवरिया के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ने बताया कि बंधक बनाने का मामला नहीं है. भुगतान का मुद्दा था जिसे हल कराकर सभी 33 मजदूरों और उनके बच्चो को झारखंड स्थित उनके गांव वापस भेज दिया गया है. गौरतलब है कि देवरिया के रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के मुंडेरा मिश्र गांव स्थित एक ईंट भट्ठे पर काम करने वाले मजदूरों ने रांची की एक स्वयंसेवी संस्था को फोन पर यह सूचना दिया था कि उन्हें बंधक बनाकर जबरिया काम करवाया जा रहा है. मजदूरों ने कहा था कि उनका लाखों रुपये बकाया है.
मजदूरों की शिकायत पर स्वयंसेवी संस्था ने झारखंड सरकार से मदद मांगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने देवरिया के डीएम आशुतोष निरंजन को इससे अवगत कराया जिसके बाद 21 जून को मजिस्ट्रेट ने ईंट भट्ठे पर पहुचकर इस मामले की छानबीन की तो पता चला कि 33 मजदूरों का पिछले कई महीने से लाखों रुपये बकाया है और वे घर जाना चाहते हैं.
जिला प्रशासन ने ईंट भट्ठा मालिक से मजदूरों के बकाए का भुगतान तत्काल करने को कहा जिसके बाद 22 जून को मजदूरों के बकाए का भुगतान हुआ. इसके बाद मजदूरों को मौर्या एक्सप्रेस से रांची भेजने की वयवस्था की गई. इन 33 मजदूरों में महिलाएं भी शामिल हैं. सभी श्रमिक रांची के चान्हो प्रखंड के टांगर गांव के रहने वाले बताए जाते हैं. इस मसले को लेकर ईंट भट्ठे के मालिक ने कहा कि केवल पैसे का मामला था.
ईंट भट्ठा मालिक ने कहा कि हमने मजदूरों को भुगतान करने के लिए समय दिया था लेकिन इसी बीच किसी ने झारखंड में सूचना दे दी जिसके बाद यहां मजिस्ट्रेट और थाना प्रभारी रामपुर कारखाना आए थे और जांच करके गए हैं. देवरिया अपर जिलाधिकारी कुंवर पंकज ने बताया कि बंधक बनाए जाने की बात बिल्कुल गलत है. भुगतान का मुद्दा था जिसे सुलझा लिया गया है. मजदूर घर जाना चाहते थे, उन्हें भिजवा दिया गया है.
अपर जिलाधिकारी ने बताया कि झारखंड सरकार से एक अफसर का फोन आया था जिन्होंने बताया था कि वे एक एनजीओ चलाते हैं जो मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के बेटे कोई सोरेन हैं, उनकी संस्था है. उन्होंने बताया कि फोन करने वाले सज्जन ने देवरिया में मजदूरों को परेशानी की जानकारी दी. हमने मजदूरों से बात की तो पता चला कि मुद्दा भुगतान का है. मजदूरों का कहना था कि हमें पैसा मिल जाए, हम अपने घर चले जाएं. मजदूरों का बकाया भुगतान कराकर उन्हें घर भेज दिया गया है.