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अयोध्या: धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का सामने आया नाम, अब ट्रस्ट की बैठक में लगेगी अंतिम मुहर

मस्जिद कॉम्प्लेक्स में मस्जिद के साथ सुपर स्‍पेशिलिटी हॉस्पिटल, कल्‍चरल रिसर्च सेंटर, लाइब्रेरी, कम्‍युनिटी किचन के निर्माण का प्‍लान है. मुख्‍य आर्किटेक्‍ट डिजाइन में सारा फोकस पर्यावरण संरक्षण व इंडो इस्‍लामिक कल्‍चर पर किया गया है. इसी को ध्‍यान में रखकर 5 एकड़ के मस्जिद परिसर में सोलर लाइट प्‍लांट से पावर सप्‍लाई व ग्रीनरी पैच की खास तौर पर व्‍यवस्‍था की गई है.

धुन्नीपुर गांव में सरकार ने आवंटित की 5 एकड़ जमीन धुन्नीपुर गांव में सरकार ने आवंटित की 5 एकड़ जमीन
बनबीर सिंह
  • अयोध्या,
  • 31 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 3:43 AM IST

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या के प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित कर दी है. जानकारी के मुताबिक इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन द्वारा बनाई जा रही इस मस्जिद का नाम अयोध्या मस्जिद हो सकता है. 

फाउंडेशन के सदस्य अरशद अफजाल का कहना है कि कई लोगों ने इस नाम का सुझाव दिया है, जिस पर ट्रस्ट की आगामी बैठक में निर्णय होगा. यह बेहतर सुझाव है और पूरी संभावना है कि अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नाम अयोध्या मस्जिद ही रख दिया जाए.

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सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को विवादित जगह पर राम मंदिर निर्माण का आदेश दिया था साथ ही मस्जिद के निर्माण के लिए यूपी सरकार को 5 एकड़ जमीन आवंटित करने के लिए भी कहा था. इसके बाद करीब 8 महीने के खोज के बाद मस्जिद के लिए अयोध्या से लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग से 250 मीटर दूर सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में जिला प्रशासन ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन का आवंटन कर दिया.

15 महीने बाद भी मस्जिद के नक्शे को मंजूरी नहीं

जानकारी के मुताबिक भूमि आवंटन के बाद मई 2021 में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने मस्जिद के मानचित्र को स्वीकृति के लिए आवेदन किया था लेकिन अयोध्या विकास प्राधिकरण में एनओसी के अभाव में लगभग 15 महीने बाद भी इसको मंजूरी नहीं मिल सकी है. इसको लेकर जुलाई 2022 में फाउंडेशन के चेयरमैन जुफर फारूकी, सचिव अतहर हुसैन, स्थानीय ट्रस्टी अरशद अफजाल के साथ विकास प्राधिकरण गए थे. 

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प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह से मुलाकात के बाद भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण, अग्निशमन, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला प्रशासन के साथ नगर निगम को पत्र भेजा गया और एनओसी मांगी गई. फाउंडेशन के ट्रस्टी अरशद अफजाल खान का कहना है कि डेढ़ माह बीत गए लेकिन अभी तक न तो प्राधिकरण को किसी विभाग से एनओसी मिली है और न ही एनआोसी के संदर्भ में किसी विभाग ने स्थलीय निरीक्षण की जरूरत समझी है.

रास्ते की कम चौड़ाई के कारण आ रही थी दिक्कत

प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह का कहना है कि एनओसी न मिल पाने के कारण मस्जिद का मानचित्र स्वीकृत नहीं हो पाया है. प्राधिकरण की तरफ से कोई देर नहीं हो रही है. इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सदस्यों ने जब उनसे मुलाकात की थी, तब भी उन्होंने यह बात बताई थी. प्राधिकरण ने संबंधित विभागों को पत्र भी भेजा था. उन्होंने कहा कि जल्द ही एनओसी मिल जाएगी और मस्जिद के नक्शे को स्वीकृति मिल जाएगी. 

वहीं सूत्रों की मानें तो अग्नि शमन विभाग को इस बात को लेकर एतराज है कि लखनऊ-गोरखपुर हाईवे से 250 मीटर दूर मस्जिद तक पहुंचने के लिए रास्ता छह मीटर ही  चौड़ा है. विभाग ऐसी इमारत के लिए तभी स्वीकृति दे सकता है, जब वहां रास्ता 12 मीटर चौड़ा हो, इसलिए भविष्य में सड़क चौड़ा करने की शर्त पर अग्नि शमन विभाग एनओसी दे रहा है.

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नमाजियों के लिए सभागार, 300 बेड का बनेगा हॉस्पिटल

यूपी सरकार से मिली जमीन पर मस्जिद के अलावा 2 हजार नमाजियों के लिए सभागार, 300 बेड का चैरिटेबल हॉस्पिटल, एक  हजार लोगों की क्षमता वाला  शाकाहारी सामुदायिक  भोजनालय और मौलवी अहमद उल्ला शाह के नाम से एक रिसर्च सेंटर भी प्रस्तावित है. इसी के साथ छायादार वृक्ष भी चारों ओर लगाए जाएंगे.

 

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