
दिवाली के अगले दिन अयोध्या के मंदिरों में आरती के बाद भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है और इस प्रसाद को ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इस बार का अन्नकूट महोत्सव इसलिए और खास हो जाता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस बार भव्य तरीके से रामलला को राम जन्मभूमि परिसर में ही 56 भोग लगाए गए और उस प्रसाद को सभी को बांटा भी गया.
राम जन्मभूमि में सदियों के बाद यह पहला मौका है जब बिना किसी प्रतिबंध के रामलला को 56 प्रकार के भोग लगाए गए और यह राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी के लिए सबसे बड़ा मौका रहा, क्योंकि इसके पहले रामलला त्रिपाल में थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सारे कार्य रिसीवर की अनुमति से ही होते थे. इसलिए इस बार अन्नकूट महोत्सव बड़ा खास रहा और बिना किसी बाधा के शांति पूर्वक रामलला को 56 प्रकार के भोग लगाए गए.
रामलला को 56 प्रकार के भोग लगाए गए
मान्यता यह है कि जब लंका विजय के बाद भगवान राम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या आए तो उनके आने की खुशी में पूरे अयोध्या को दीपों से सजा दिया गया और खुशियां मनाई गई. अयोध्या राजमहल को यह बात मालूम थी कि वनवास के दौरान श्री राम और माता सीता अधिकतर समय कंदमूल खाकर ही रहते थे. इसीलिए उनके लिए 56 तरह के विशेष व्यंजन बनाए गए थे.
दीपावली के अगले दिन बनाए जाने वाले इन व्यंजनों को खाने के लिए पूरे राज्य के लोगों को भी आमंत्रित किया गया था. यह अयोध्या में भगवान राम के आने की खुशी थी उल्लास था और इस उल्लास में सबको साथ शामिल करने की अभिलाषा थी. इसीलिए अयोध्या में अन्नकूट महोत्सव का विशेष महत्व है.
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