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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में हादसा, मलबे में दबकर बाबा का सिंहासन क्षतिग्रस्त

विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण के दौरान मलबा ढहने से पूर्व विश्वनाथ मंदिर महंत के भवन का एक हिस्सा गिरा. 365 वर्ष प्राचीन रंगभरी एकादशी का रजत शिवाला और पालकी हुई क्षतिग्रस्त. पूर्व महंत ने दी जल समाधि की धमकी.

बगल के मकान को तोड़े जाने के दौरान हुई दुर्घटना बगल के मकान को तोड़े जाने के दौरान हुई दुर्घटना
aajtak.in
  • वाराणसी,
  • 22 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:23 AM IST

  • कॉरिडोर निर्माण के दौरान गिरा मंदिर के पूर्व महंत के घर का एक हिस्सा
  • पूर्व महंत के घर में रखा बाबा विश्वनाथ का रजत सिंहासन भी मलबे में दबा

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर या विश्वनाथ धाम का निर्माणाधीन काम उस वक्त एक बार फिर विवादों में घिर गया जब मंदिर के नजदीक ही स्थित पूर्व महंत कुलपति तिवारी के आवास के पश्चिमी हिस्से की तरफ की दीवार उस वक्त ढह गई जब कॉरिडोर में लगा एक जेसीबी पूर्व मंहत के मकान से लगे मकान को तोड़ रहा था.

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मलबे में दबा बाबा विश्वनाथ का रजत सिंहासन

जेसीबी द्वारा चार मंजीला मकान को तोड़ने के चलते सारा मलबा पूर्व महंत के आवास की पश्चिमी दीवार और कई कमरों को भी क्षतिग्रस्त कर गया. जिसकी जद में 365 वर्ष पुरानी वह रजत शिवाला और चांदी जड़ित पालकी भी थी जिसकी झांकी रंगभरी एकादशी के पर्व पर निकलती है.

फिलहाल एहतियात के तौर पर पूर्व महंत के परिवार को नजदीक ही एक गेस्ट हाउस में शरण लेना पड़ा और पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने चेतावनी भी दी है कि जल्द उनके मकान को मरम्मत करके वापस नहीं किया जाता तो वे जल समाधि ले लेंगे.

विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी का क्षतिग्रस्त मकान

365 साल पुरानी आस्था को लगी चोट

खुशकिस्मती से इस दुर्घटना में कोई चोटिल नहीं हुआ. लेकिन मलबे में 365 वर्ष पुरानी आस्था और परंपरा को तब चोट लग गई जब उसमें रंगभरी एकादशी पर्व से संबंधित पूर्व महंत के घर से निकलने वाली झांकी की चांदी जड़ित पालकी और लगभग दो सौ किलोग्राम का चांदी का शिवाला मलबे में दबकर क्षतिग्रस्त हो गई.

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रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ के प्रतीक स्वरूप रजत प्रतिमा उसी चांदी की पालकी पर सवार होकर निकलती थी और फिर मंदिर से मां पार्वती की विदाई करा कर वापस महंत आवास में आती थी. दुर्घटना के बाद आवास के दूसरे कमरे में शिव-पार्वती की रजत प्रतिमा को लोगों ने हटाकर विश्वनाथ मंदिर में रखा और खुद मकान खाली करके नजदीक ही एक गेस्ट हाउस में शरण लेने चले गए.

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पूर्व महंत ने बताई पूरी कहानी

इस पूरे मामले पर विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह की कोई घटना होगी. मैंने अपने मकान को 16 दिसंबर 2019 को बच्चों के आग्रह पर कॉरिडोर के लिए दे दिया था. मकान के पश्चिमी हिस्से में स्थित एक मकान को मैंने बहुत पहले ही कॉरिडोर के लिए बेच दिया था. उसमें लगे काम के दौरान मैंने कई बार जेसीबी मशीन चलाने पर रोका कि इसकी वजह से भविष्य में कोई दिक्कत आ सकती है. जिस पर कांट्रेक्टर ने भरोसा दिलाया कि आप जिस मकान में रह रहे हो सुरक्षित रहेगा.

उन्होंने आगे बताया कि परसों ही बगल वाले मकान से मलबा आकर हमारी सीढ़ी की तरफ गिर गया. लेकिन हम लोगों ने संतोष किया. फिर सुबह के वक्त आज तेज आवाज के साथ बगल के मकान का मलबा गिर पड़ा और मेरे बेटा और बहू की जान जाते-जाते बची. इस घटना में बगल में तोड़े जा रहे मकान का 4 मंजिल हिस्सा पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो गया.

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पूर्व महंत ने आगे बताया कि घटना के बाद आए अधिकारियों ने मुझे आश्वासन दिया कि एक-दो दिन के लिए आप अपने परिवार के साथ नजदीकी जालान धर्मशाला में शिफ्ट हो जाइए और रजत मूर्ति को मंदिर में रखवा दिया गया. उन्होंने आगे बताया कि उनकी पत्नी और बहू के जेवर और चांदी का शिवाला और चांदी की पालकी चांदी का झूला मलबे में दब गया. पूर्व महंत के मुताबिक मलबे में उनका नंबर 50 से 60 लाख के आभूषण और मंदिर से जुड़ा सामान दबने से नुकसान हो गया. उन्होंने बताया कि चांदी के शिव पार्वती की प्रतिमा सुरक्षित है जिसको उन्होंने मंदिर में सुरक्षित रख दिया है.

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महंत ने दी जल समाधि ले लेने की चेतावनी

पूर्व महंत ने पूरी घटना के लिए किसी को सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया लेकिन इतना जरूर बोला है कि प्रशासन ने ठेकेदार को काम दिया तो यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके भवन का जो भी हिस्सा है उसको प्रशासन सुरक्षित रखे और जो उनकी प्रतिमा है उसको लाकर उनको हैंड ओवर कर दिया जाए और अगर बिना अनुमति के उनका भवन गिराया गया तो वे आत्महत्या कर लेंगे. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी स्वेच्छा से भवन कॉरिडोर को तो बेच दिया है, लेकिन उनकी अनुमति के बगैर उनका भवन गिराया जाता है तो वे गंगा में जाकर जल समाधि ले लेंगे.

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(इनपुट: रौशन जायसवाल)

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