
उत्तर प्रदेश के इटावा में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां सैकड़ों किसानों ने अपने खेतों का गेहूं सहकारी क्रय केंद्रों पर बेच दिया. इसके बाद ये किसान सरकार द्वारा गरीबों को मिलने वाले मुफ्त खाद्यान का भी लाभ लेते रहे. नियमों के मुताबिक, अभी मुफ्त खाद्यान का फायदा उन्हीं किसानों को मिलता है, जिनकी वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में ढाई लाख से कम और शहरी क्षेत्रों में तीन लाख से कम है.
अब प्रशासन ने ऐसे किसानों की पहचान की है, जिन्होंने अपना गेहूं तीन लाख रूपए से ज्यादा का बेचा है और सरकारी राशन का भी लाभ लेते रहे. आधार कार्ड के जरिए ऐसे किसानों की पहचान की गई है. इटावा प्रशासन को 372 ऐसे किसानों की लिस्ट सौंपी गई है. अब जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी इसकी जांच करेगा.
ओटीपी के जरिए होगा रजिस्ट्रेशन
खाद्य विपणन अधिकारी संतोष पटेल ने बताया कि फर्जीवाड़े को देखते हुए अब नई व्यवस्था की गई है. इसके तहत धान खरीद केंद्र पर बिक्री से पहले किसानों को अपने मोबाइल नंबर के जरिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. मोबाइल पर ओटीपी आएगा. अब सभी किसानों का उपजिलाधिकारी सत्यापन करेंगे, उसके बाद ही बिक्री संभव हो सकेगी. 1 नवंबर से राज्य में धान खरीद केंद्रों की शुरुआत की जानी है.
300 से ज्यादा किसान रडार पर
जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी सीमा त्रिपाठी ने बताया कि किसानों की राशन कार्ड पात्रता को लेकर एक सूची जिलाधिकारी के माध्यम से पूर्ति विभाग को भेजी गई है. ऐसे किसानों की पहचान की गई है, जिन्होंने अपना गेहूं 3 लाख रुपए से ज्यादा का बेचा और मुफ्त खाद्यान राशन का भी लाभ उठा रहे हैं. ऐसे करीब 372 किसानों ने किया है.
सीमा त्रिपाठी ने बताया कि इनका राशन कार्ड सत्यापन कराना है. जानकारी मिली है कि राशन कार्ड में इन लोगों ने गलत जानकारी दी है. इन लोगों की आमदनी 3 लाख रुपए से अधिक है. इसके बावजूद ये लोग मुफ्त राशन प्राप्त कर रहे थे. उन्होंने कहा, ऐसे किसानों पर कार्रवाई की जाएगी.
(इनपुट- अमित तिवारी)