Advertisement

कानपुर: डेढ़ साल तक गंगाजल से होती थी लाश की सफाई, पत्नी की शिकायत पर खुली पोल

कानपुर में एक परिवार द्वारा अपने बेटे के शव को डेढ़ साल से घर में रखने का मामला इन दिनों सुर्खियों में है. अब इस मामले को मनोचिकित्सकों ने मेंटल डिसऑर्डर बताया है. मृतक अधिकारी के माता-पिता को भरोसा था कि उनका बेटा एक दिन जिंदा हो जाएगा.

मृतक के माता-पिता को बेटे के जिंदा होने का था भरोसा मृतक के माता-पिता को बेटे के जिंदा होने का था भरोसा
सिमर चावला
  • कानपुर,
  • 24 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:19 PM IST

कानपुर में मृत आयकर अधिकारी के शव के साथ डेढ़ साल से पूरे परिवार के रहने का मामला सुर्खियों में छाया हुआ है. अब इसको लेकर कई बड़े खुलासे हुए हैं. जांच में सामने आया है कि अंधविश्वास के चलते माता-पिता ने घर में 18 महीने से बेटे का शव रखा था और उन्हें उम्मीद थी कि उनका बेटा जिंदा हो जाएगा.

जांच में ये भी पता चला है कि मृतक आयकर अधिकारी विमलेश कुमार का परिवार रोज अपने बेटे की बॉडी की सफाई गंगाजल से करते थे और फिर कपड़े को बदल दिया जाता था. आजतक से बातचीत में बुजुर्ग माता-पिता ने दावा किया कि उनका बेटा कल तक जिंदा था.

Advertisement

उन्होंने बताया कि जब पिछले साल उनके बेटे को अस्पताल द्वारा मृत घोषित कर दिया गया था और उसका शव लेकर घर आए तो उनकी भतीजी ने बताया कि इनकी सांसें अभी भी चल रही हैं. उसके बाद से उन्होंने बेटे के मृत शरीर का ध्यान रखना शुरू किया. 

परिवार ने बताया कि हर थोड़े दिन पर वो शव के कपड़े बदल देते थे और रोजाना गंगा जल से शरीर की सफाई करते थे. आखिरकार जब इनकम टैक्स के अधिकारियों ने डीएम से इसकी शिकायत की तब डीएम ने सीएमओ की टीम को घर पर भेजा.

इसके बाद शुक्रवार को पूरे मामले का खुलासा हुआ था. जांच के बाद जब एक बार फिर सरकारी अस्पताल में आयकर अधिकारी को मृत घोषित किया गया तो परिवार वाले अपने बेटे का 18 महीने बाद अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए.

Advertisement

अंधविश्वास की वजह से रखा था शव: पुलिस

पुलिस का कहना है कि अंधविश्वास के चलते मां-बाप ने 18 महीने तक शव को अपने घर में रखा था. वहीं मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर और मनोचिकित्सक ने इसे मेंटल डिसऑर्डर बताया.

जानकारों का कहना है कि विमलेश के माता-पिता बेटे को जिंदा मानकर चल रहे थे, जबकि पत्नी मिताली हकीकत से वाकिफ थीं. उन्होंने ही लिखित तौर पर आयकर विभाग को बताया था कि पति की मौत हो चुकी है और शव घर में है.

भ्रम में जी रहा था परिवार: डॉक्टर

सेंट्रल  Psychiatric Society के महासचिव डॉ गणेश शंकर के अनुसार, परिवार का बर्ताव असामान्य है, लेकिन परीक्षण के बाद ही पता चलेगा कि वे मानसिक रूप से अस्थिर हैं या नहीं. जब परिवार के दो या उससे ज्यादा लोग एक जैसा सोचने लगें तो वे भ्रम में जीने लगते हैं.

इस मामले को लेकर ज्वाइंट कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि ऐसा लगता है अंधविश्वास के चलते परिवारवालों ने शव को कई महीने तक अपने पास रखा.

शुक्रवार को भी जब परिवार के लोग शव देने को तैयार नहीं हो रहे थे तो उन्हें यह बताया गया कि कि उनके बेटे को बेहतर इलाज के लिए ले जाया जा रहा है ताकि वह ठीक हो सके. इस पूरे मामले में अभी जांच जारी है.

Advertisement


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement