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खेत में पराली जलाई तो नहीं मिलेगी किसान सम्मान निधि, यहां लिया गया सख्त फैसला

अगर खेत में पराली जलाई तो किसानों को मिलने वाली कृषि विभाग से समस्त सम्मान निधि समाप्त कर दी जाएगी क्योंकि ये वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनता है जिसको लेकर सरकार काफी सख्त है. अगर कोई पराली जलाता पकड़ा जाता है तो इसमें 1 एकड़ तक जमीने के लिए ढाई हजार रुपए जुर्माना है और 1 एकड़ से ऊपर होने पर 5000 तक का जुर्माना लगाया जाता है.

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गजेंद्र त्रिपाठी
  • गोरखपुर,
  • 06 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

उत्तर भारत के अलग-अलग राज्य में इस समय पराली जलाने की घटनाएं देखने को मिल रही है. हालांकि राज्य सरकारों द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में इस पर बड़ा फैसला लिया गया है. 

इस फैसले के तहत अगर खेत में पराली जलाई तो किसानों को मिलने वाली कृषि विभाग से समस्त सम्मान निधि समाप्त कर दी जाएगी क्योंकि ये वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनता है जिसको लेकर सरकार काफी सख्त है. ये फैसला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में लिया गया है. अगर कोई पराली जलाता पकड़ा जाता है तो इसमें 1 एकड़ तक जमीने के लिए  ढाई हजार रुपए जुर्माना है और 1 एकड़ से ऊपर होने पर 5000 तक का जुर्माना लगाया जाता है.

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कृषि विभाग में डिप्टी डायरेक्टर अरविंद सिंह ने बताया कि इस मामले में लगातार शिकायतें आती थी लेकिन सेटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर एक्शन लेने से पिछले वर्ष लगभग 23 मामले आए थे लेकिन इस साल केवल एक मामला आया है इसका मतलब है लोग अब जागरूक हो रहे हैं.

बता दें कि पूर्वांचल में सर्दी ने दस्तक दे दी है और सूरज ढलने के बाद रात होते ही कोहरा गिरने लग रहा है और हवा की रफ्तार भी धीमी है. महज एक हफ्ते में जब एमएमयूटी परिसर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वायु प्रदूषण स्वचालित मशीन से उसका आकलन किया तो एयर क्वालिटी इंडेक्स से पता चला की दीपावली के बाद हवा में प्रदूषण कम हुआ है यानी देखा जाए तो जिस तरह से पिछले वर्ष पराली जलाने के 23 मामले आए थे, इस वर्ष मात्र एक मामला आया है. यानि कि लोगों के मन में कहीं ना कहीं जुर्माने का खौफ है और साथ ही कृषि विभाग से मिलने वाली नीतियों के छीन जाने का भी खौफ है.

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IMD के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पराली की घटनाओं में गिरावट देखने को मिली है. पिछले साल के मुकाबले उत्तर प्रदेश में 38% कम पराली जलाई गई.

 

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